आँखों में सुन्हेरे कल के सपने हैं
फिर भी चेहरे उदासी क्यों है?
समेत लो इन सपनों को अपने आँचल में
कहीं ये उदासी उन्हें अपने अँधेरे में ग़ुम न कर दे!!!!(13.04.2010)
CLOSE TO ME
My friends,
It feels good to have my own blog.....there are things which are close to my heart and things which have affected me one way or the other.....my thoughts,my desires,my aspirations,my fears my gods and my demons---you will find all of them here....I invite you to go through them and get a glimpse of my innermost feelings....................
It feels good to have my own blog.....there are things which are close to my heart and things which have affected me one way or the other.....my thoughts,my desires,my aspirations,my fears my gods and my demons---you will find all of them here....I invite you to go through them and get a glimpse of my innermost feelings....................
Tuesday, April 13, 2010
Friday, April 9, 2010
इन्टरनेट
तुम दूर हो
बहुत दूर
लगता नहीं तुम मिलोगी कहीं
एक दिन इन्टरनेट के माध्यम से
तुम से मुलाक़ात हो गयी
दिल ने कहा तुम ही हो,तुम वही हो
तुम से मिलने पर मैं खो सा गया
सब कुछ भूल गया
अपने अंतर्मन की सब बातें तुम से कह डालीं
लगा मानो हम में कोई दूरी नहीं है
तुम मेरे करीब हो
इतनी करीब की तुम मुझ में समां गयी
और मैं तुम में
हम दोनों एक हो गए
मैं भूल गया की तुम कोरी कल्पना हो
तुम मेरी तरह नहीं हो सकती
मैं तो तुम्हारा तस्सवुर कर
तुम्हे अपने रूप में ढालने के लिए बेताब फिर रहा हूँ
पर कल्पना तो कल्पना है
उसे कहाँ रूप दे पाउँगा मैं
तुम्हारी काल्पनिक खूबसूरती का पार न पा सकूंगा
मैं तो केवल दूर से देख कर तुम्हे
अपनी संगिनी बनाने का ख़वाब ही देख सकता हूँ
फिर एक दिन तुम चली गयीं
कभी न लौटने के लिए
ख़ाली स्क्रीन मुँह बाए मेरी तरफ देख रही है
मानो मुझे चिढ़ा रही हो
कह रही हो
कि कल्पना कभी वास्तविकता नहीं बन सकती
वो तो केवल कुछ पलों के लिए
मन को बहला देती है
पर मैं खुश हूँ
कि कुछ पल के लिए ही सही
मैंने तुम्हें पाया तो सही
बस मेरा जीवन सफल हो गया
एक बार तुम्हें मिलने के बाद
अब मौत भी आये तो कोई ग़म नहीं
क्योंकि तुम एक हो गयी मुझ में समां कर!!!!!!!!!!!!(09.04.2010)
बहुत दूर
लगता नहीं तुम मिलोगी कहीं
एक दिन इन्टरनेट के माध्यम से
तुम से मुलाक़ात हो गयी
दिल ने कहा तुम ही हो,तुम वही हो
तुम से मिलने पर मैं खो सा गया
सब कुछ भूल गया
अपने अंतर्मन की सब बातें तुम से कह डालीं
लगा मानो हम में कोई दूरी नहीं है
तुम मेरे करीब हो
इतनी करीब की तुम मुझ में समां गयी
और मैं तुम में
हम दोनों एक हो गए
मैं भूल गया की तुम कोरी कल्पना हो
तुम मेरी तरह नहीं हो सकती
मैं तो तुम्हारा तस्सवुर कर
तुम्हे अपने रूप में ढालने के लिए बेताब फिर रहा हूँ
पर कल्पना तो कल्पना है
उसे कहाँ रूप दे पाउँगा मैं
तुम्हारी काल्पनिक खूबसूरती का पार न पा सकूंगा
मैं तो केवल दूर से देख कर तुम्हे
अपनी संगिनी बनाने का ख़वाब ही देख सकता हूँ
फिर एक दिन तुम चली गयीं
कभी न लौटने के लिए
ख़ाली स्क्रीन मुँह बाए मेरी तरफ देख रही है
मानो मुझे चिढ़ा रही हो
कह रही हो
कि कल्पना कभी वास्तविकता नहीं बन सकती
वो तो केवल कुछ पलों के लिए
मन को बहला देती है
पर मैं खुश हूँ
कि कुछ पल के लिए ही सही
मैंने तुम्हें पाया तो सही
बस मेरा जीवन सफल हो गया
एक बार तुम्हें मिलने के बाद
अब मौत भी आये तो कोई ग़म नहीं
क्योंकि तुम एक हो गयी मुझ में समां कर!!!!!!!!!!!!(09.04.2010)
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