hanjhu kende ne mere dil da haal
o bekhabr muskra ke kolon lang gaya!!!
ਹੰਝੂ ਕੇਂਦੇ ਮੇਰੇ ਦਿਲ ਦਾ ਹਾਲ
ਓ ਬੇਖ਼ਬਰ ਮੁਸਕਰਾ ਕੇ ਕੋਲੋਂ ਲੰਗ ਗਯਾ!!!!
february 27, 2011 at 10. 09 A.M.
CLOSE TO ME
My friends,
It feels good to have my own blog.....there are things which are close to my heart and things which have affected me one way or the other.....my thoughts,my desires,my aspirations,my fears my gods and my demons---you will find all of them here....I invite you to go through them and get a glimpse of my innermost feelings....................
It feels good to have my own blog.....there are things which are close to my heart and things which have affected me one way or the other.....my thoughts,my desires,my aspirations,my fears my gods and my demons---you will find all of them here....I invite you to go through them and get a glimpse of my innermost feelings....................
Sunday, February 27, 2011
Friday, February 25, 2011
तुम-हम हम-तुम
tum ho to hum hain
hum hain to tum ho
tum nahin to hum nahin
hum nahin to tum kahan
tum mein hum hai
...aur hum mein tum
issi liye to hain hum-tum aur tum-hum.
तुम हो तो हम हैं
हम हैं तो तुम हो
तुम नहीं तो हम नहीं
हम नहीं तो तुम कहाँ
तुम में हम हैं
और हम में तुम
इसी लिए तो हैं हम-तुम और तुम-हम!!!!
February 25, 2011 at 10.02 P.M.
hum hain to tum ho
tum nahin to hum nahin
hum nahin to tum kahan
tum mein hum hai
...aur hum mein tum
issi liye to hain hum-tum aur tum-hum.
तुम हो तो हम हैं
हम हैं तो तुम हो
तुम नहीं तो हम नहीं
हम नहीं तो तुम कहाँ
तुम में हम हैं
और हम में तुम
इसी लिए तो हैं हम-तुम और तुम-हम!!!!
February 25, 2011 at 10.02 P.M.
Saturday, February 19, 2011
बंद दरवाज़ा
बंद दरवाज़ा
शायद पीछे तुम हो
नहीं जानती
खुल जाए ग़र ये
शायद तुम्हें देख
समझ पाऊं
उलझा हुआ है जो इस दरवाज़े के पीछे
शायद सुलझ जाए
आहट तो है तुम्हारी उस ओर
पदचापें भी हैं कुछ अधीर सी
घबराहट है कहीं जान न लूं मैं तुम्हारा अंतर्मन
शायद इसी लिए किया है तुमने दरवाज़ा बंद
कब तक रखोगे मुझे बाहर
मैं-जो एक एहसास हूँ,
मैं-जो तुम्हारे साथ हूँ सदा
नकार न पाओगे मेरे वजूद को
क्योंकि तुम हो
इस लिए मैं हूँ!!!!!
February 19, 2011 at 12.20 A.M.
शायद पीछे तुम हो
नहीं जानती
खुल जाए ग़र ये
शायद तुम्हें देख
समझ पाऊं
उलझा हुआ है जो इस दरवाज़े के पीछे
शायद सुलझ जाए
आहट तो है तुम्हारी उस ओर
पदचापें भी हैं कुछ अधीर सी
घबराहट है कहीं जान न लूं मैं तुम्हारा अंतर्मन
शायद इसी लिए किया है तुमने दरवाज़ा बंद
कब तक रखोगे मुझे बाहर
मैं-जो एक एहसास हूँ,
मैं-जो तुम्हारे साथ हूँ सदा
नकार न पाओगे मेरे वजूद को
क्योंकि तुम हो
इस लिए मैं हूँ!!!!!
February 19, 2011 at 12.20 A.M.
Friday, February 18, 2011
Tuesday, February 8, 2011
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