मेट्रो में तुम्हारी आँखें,
ऊपर से नीचे देखती हैं मुझे!
इक अजीब सी कंपकपाहट,
दौड़ जाती है शरीर में!
तुम्हारे पास से जब गुज़रती हूँ,
इक शर्मसार कर देने वाला गाना,
आ जाता है तुम्हारे लबों पर!
अनान्यास,
देखती हूँ जब तुम्हारी ओर,
तुम्हारी आँखों की भूख खा जाती है मुझे!
हाँ, शायद तुम मुझे तो देखते ही नहीं!
तुम्हें बस दिखता है इक शरीर,
जिसे अपनी वासना भरी निगाहों से,
छलनी कर देते हो तुम!
शायद मेरी ही गलती है!
मैं पैदा हुई इक लड़की,
बनी औरत!
तुमने देखा मुझ में,
केवल एक माँस का टुकड़ा!
मैं क्या हूँ,
तुमने कभी सोचा ही नहीं!
तुमने जो चाहा तुम्हें मिला!
सारा आसमान था,
तुम्हारे उड़ने के लिये!
मुझे तुमने दो गज़ ज़मीन भी ना दी,
चलने भर के लिये!
ऊँचे-ऊँचे पर्वत लांघ गए तुम,
मेरे लिए दहलीज़ भर लांघना,
मुश्किल कर दिया तुमने!
अपनी हस्ती का विस्तार किया,
समुद्र की तरह!
मेरे आँचल को,
हवा में लहराने तक ना दिया तुमने!
लार टपकाते हो,
नज़रों से चीरते हो,
शब्दों के बाण चलाते हो!
शरमिन्दा हूँ तुम्हारे समाज में,
जीने का हक ना दिया जहाँ तुमने!!!!!!
(तेरी दुनिया मेरी दुनिया, तेरा समाज मेरा समाज, इतने कैसे अलग हो गए कि मेरा साँस लेना ही दूबर हो गया..........)
((February 6, 2013 at 11.25 P.M.))
ऊपर से नीचे देखती हैं मुझे!
इक अजीब सी कंपकपाहट,
दौड़ जाती है शरीर में!
तुम्हारे पास से जब गुज़रती हूँ,
इक शर्मसार कर देने वाला गाना,
आ जाता है तुम्हारे लबों पर!
अनान्यास,
देखती हूँ जब तुम्हारी ओर,
तुम्हारी आँखों की भूख खा जाती है मुझे!
हाँ, शायद तुम मुझे तो देखते ही नहीं!
तुम्हें बस दिखता है इक शरीर,
जिसे अपनी वासना भरी निगाहों से,
छलनी कर देते हो तुम!
शायद मेरी ही गलती है!
मैं पैदा हुई इक लड़की,
बनी औरत!
तुमने देखा मुझ में,
केवल एक माँस का टुकड़ा!
मैं क्या हूँ,
तुमने कभी सोचा ही नहीं!
तुमने जो चाहा तुम्हें मिला!
सारा आसमान था,
तुम्हारे उड़ने के लिये!
मुझे तुमने दो गज़ ज़मीन भी ना दी,
चलने भर के लिये!
ऊँचे-ऊँचे पर्वत लांघ गए तुम,
मेरे लिए दहलीज़ भर लांघना,
मुश्किल कर दिया तुमने!
अपनी हस्ती का विस्तार किया,
समुद्र की तरह!
मेरे आँचल को,
हवा में लहराने तक ना दिया तुमने!
लार टपकाते हो,
नज़रों से चीरते हो,
शब्दों के बाण चलाते हो!
शरमिन्दा हूँ तुम्हारे समाज में,
जीने का हक ना दिया जहाँ तुमने!!!!!!
(तेरी दुनिया मेरी दुनिया, तेरा समाज मेरा समाज, इतने कैसे अलग हो गए कि मेरा साँस लेना ही दूबर हो गया..........)
((February 6, 2013 at 11.25 P.M.))
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