क्रमागत उन्नति के कारण
तुम सीढ़ी के सबसे ऊँचे पायदान पर हो,
क्योंकि तुम सोच सकते हो,
समझ सकते हो,
उन्नत होI
तुम सीढ़ी के सबसे ऊँचे पायदान पर हो,
क्योंकि तुम सोच सकते हो,
समझ सकते हो,
उन्नत होI
फिर ये कैसी बर्बरता?
मुझे जीने का हक़ नहीं क्या?
और वो नन्ही सी जान,
जो मेरे अंदर पल रही थी,
क्या उसे इस दुनिया में नहीं आना था?
मुझे जीने का हक़ नहीं क्या?
और वो नन्ही सी जान,
जो मेरे अंदर पल रही थी,
क्या उसे इस दुनिया में नहीं आना था?
मैं तुम सब से पूछती हूँ,
उन सब से पूछती हूँ,
जो ख़ुद को इंसान कहते हैंI
इस धरती पर हमारा कोई अधिकार नहीं?
उन सब से पूछती हूँ,
जो ख़ुद को इंसान कहते हैंI
इस धरती पर हमारा कोई अधिकार नहीं?
विश्वासघात किया तुमनेI
फल में पटाखे छुपा रखे थेI
खा गई मैं
कि भूखी थीI
मैं तो सदा तुम्हारे काम ही आईI
कभी नुक्सान नहीं पहुंचायाI
ये सिला दिया तुमने?
वह रे इंसान!
फल में पटाखे छुपा रखे थेI
खा गई मैं
कि भूखी थीI
मैं तो सदा तुम्हारे काम ही आईI
कभी नुक्सान नहीं पहुंचायाI
ये सिला दिया तुमने?
वह रे इंसान!
कभी जंगली सूअर समझ कर मारते हो,
कभी माँ बनने वाली हथिनी को,
कभी बाघ, तो कभी गाय,
व्हेल, डॉलफिन, हिरन,
मारते तो हो सबकोI
इंसानियत, करुणा, दया,
सब तो ख़त्म हो गई है तुम मेंI
कभी माँ बनने वाली हथिनी को,
कभी बाघ, तो कभी गाय,
व्हेल, डॉलफिन, हिरन,
मारते तो हो सबकोI
इंसानियत, करुणा, दया,
सब तो ख़त्म हो गई है तुम मेंI
और, अब मेरे मरने पर,
राजनीती करनी हैI
अपने अमानवीय कृत्य को जो छुपाना है तुमनेI
राजनीती करनी हैI
अपने अमानवीय कृत्य को जो छुपाना है तुमनेI
जंगली कौन है,
मैं या तुम?
माँ बनने का हक़ तो औरत से भी छीन लेते हो,
ग़र पता लगा लेते हो
कि बेटी जन्म लेगी उसकी कोख़ सेI
मैं या तुम?
माँ बनने का हक़ तो औरत से भी छीन लेते हो,
ग़र पता लगा लेते हो
कि बेटी जन्म लेगी उसकी कोख़ सेI
कभी तो इंसान बन कर दिखाओI
कभी तो दिखाओ
कि हृदय धड़कता है तुम्हारे सीने में?
कभी तो दिखाओ
कि तुम्हारी रगों में बहते
लहू का रंग आज भी लाल है?
सफ़ेद पड़ गया है,
यकीन है मुझेI
कभी तो दिखाओ
कि हृदय धड़कता है तुम्हारे सीने में?
कभी तो दिखाओ
कि तुम्हारी रगों में बहते
लहू का रंग आज भी लाल है?
सफ़ेद पड़ गया है,
यकीन है मुझेI
इंसानियत को शर्मसार किया तुमनेI
तुम तो जानवरों से भी बत्तर होI
इंसान कहते हो ख़ुद कोI
पहले इंसान कहलाने के काबिल तो बनोII
तुम तो जानवरों से भी बत्तर होI
इंसान कहते हो ख़ुद कोI
पहले इंसान कहलाने के काबिल तो बनोII
(June 7, 2020 at 4.50 P. M.)
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