मेरे अलावा भी बहुत सारे हैं दोस्त उसके
बहुत हैं जिनसे रिश्ता है जैसा मुझसे नहीं
खुश हूँ इर्ष्या है मगर मुझको बहुत उससे
मुझे मिला एक दोस्त वो जिसके है बहुत दोस्त
सब के लिए है समय उसके पास
बस मेरे लिए ही नहीं
गर ऐसा ही रिश्ता था निभाना उसको
क्यों कर आया वो मेरी ज़िन्दगी में
दूर रहता,नज़दीक नहीं आता
मन को बहला लेता यह कह
कि वो जहाँ है खुश रहे
नहीं है मेरी दुनिया में तो क्या हुआ
आबाद रहे उनकी दुनिया जिनके संग वो मुस्कुराता है!!!!
September 27,2010 at 8.35 A.M.
बहुत खूबसूरती के साथ शब्दों को पिरोया है इन पंक्तिया में आपने
ReplyDeleteपढ़िए और मुस्कुराइए :-
आप ही बताये कैसे पार की जाये नदी ?