मैं रब्ब=रब्ब करदी,रब्ब नू लबदी फिरदी!
न मिलेया ओह मंदिर, न गुरूद्वारे, न मसीत-ए!
रब्ब मिलेया माँ दे दुलार च,
पिता दे प्यार च,
हम-लफ्ज़, हम-ज़बां ,हम-सोच दे साथ च!
ओह मिलेया मेरे बच्चे दी मुस्कान च!
ते मिलेया मेरे अन्दर इक अँधेरे कोने च!
दुब्केया बैठा,
बाहर निकलन तों डरदा!
जदों मैं पुछेया,
ते रब्ब ने हौले जीहा केहा,
"मैं तां हर उस जगह वसदा हाँ
जिथे प्यार है!
मैं तेरे अन्दर डरेया बैठा
के बाहर नफरत दी आँधी च,
लोग झुलस रये ने!
मेरा पता हर इन्सां नू
उस दिन मिल जाएगा,
जिस दिन ओ आपणी 'मैं' नू छड
बस मेरे बन्देयाँ नाल प्यार करेगा"!!!!
September 26, 2010 at 10.16 A.M.
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