इक चाँद आसमान में है
इक मेरे पहलू मैं
आसमान का चाँद धीरे-धीरे फ़ीका पड़ता हुआ
मेरा चाँद अभी भी अपनी मादक आँखों से
मुझे मदहोश करता हुआ
आसमान का चाँद घटता, बढ़ता
मेरा चाँद अपने में पूरन,
मेरा पूरक
आसमान का चाँद बेजान, ख़ामोश
मेरा चाँद मेरी जान
मेरे आग़ोश में
मुझे हम दोनों के होने का एहसास दिलाता!!!!
May 10, 2011 at 8.15 P.M.
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