CLOSE TO ME

My friends,
It feels good to have my own blog.....there are things which are close to my heart and things which have affected me one way or the other.....my thoughts,my desires,my aspirations,my fears my gods and my demons---you will find all of them here....I invite you to go through them and get a glimpse of my innermost feelings....................

Friday, August 10, 2012

डायरी के पन्ने----II--


पन्ने फिर से पलट रहा हूँ!
समझ पा रहा हूँ,
कितना मुश्किल है यह जीवन!
मित्र का पता मिला था,
एक पन्ने पर!
सोचा था मिल आऊँ!
नहीं रहता अब वहां कोई!
पता लगा, चल बसा था वो,
कई बरस पहले!

सब तो था उसके पास,
फिर अचानक क्या हुआ?
अकेला था, सबने कहा!
अपने भीतर उदास, बदरंग
रौशनियों का शहर लिए फिरता था!
बेमतलब भटकता था मन,
उस शहर की अंधेरी, संकरी गलियों में!
पूरा दिन, पूरी रात भटकता था,
बिना जाने कि जाना कहां था?

मौत को लेकर आतंकित था,
कि जब वह आदमी मरेगा
तो यह सारी झंझट होगी!
क्या, कहां, कैसे, कब?
टुकड़े अस्त व्यस्त बिखरे!
मौत के सारे अनजानपन को देखते हुए,
उसके सारे टूटे फूटेपन को देखते हुए,
मैं चला आया!

जीवन बेहद अकेला,
कौन रहता,
उस पत्थर के घर में???

सितार के तारों की आवाज़
आती थी इक घर से!
सितार पर दौड़ती-फिसलती उंगलियों से
ऐसे सुर उठते, हवाओं में ऐसा रंग बहता
कि उदासी के सब धुंधलके
उसमें धुल जाते!
लगता कि सितार के तारों से बहकर
कोई नदी मेरी ओर चली आती!
उसका एक-एक सुर मेरी उंगलियाँ थामकर कहता,
क्‍यों हो इतने उदास?
देखो न, दुनिया कितनी सुंदर है..
आज सितार की आवाज़ नहीं आती!
इक चुप्पी है, इक ब्यावः ख़ामोशी,
जो हर लफ्ज़ को निगलती जा रही है!

वो शहर बहुत चमकीला था!
हर घर से चमक निकलती थी!
लेकिन, उसकी हर चमक से,
लोगों के दिलों के अंधेरे और गाढ़े हो जाते!
एक अजीब सी विडम्बना है!


(उतरती घनी रात.... घरों से बह-बहकर आती रौशनी...एक पेन और भूरी जिल्‍द वाली वो डायरी.....)
August 10, 2012 at 10.54 P.M.

2 comments:

  1. कुछ भी मिटाना इतना आसान कहाँ होता है...खुबसूरत अभिवयक्ति.....

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