बहती हवा के वेग से तेज़ उड़ती।
स्वछंद आसमां में विचरती।
15
जनवरी 1934 को संक्रांति के पावन दिन जन्मी।
माता-पिता
की चहेती रमा देवी।
पहली महिला मुख्य चुनाव आयुक्त।
राज्य सभा की पहली और आज तक की इकलौती महिला महासचिव।
हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल।
कर्नाटक की भी इकलौती महिला राज्यपाल।
रूढ़िवादी पितृसत समाज को,
अपनी लगन और आत्मविश्वास से,
मुँह तोड़ जवाब दिया जिसने।
बता
दिया कि मुमकिन है,
शीशे
की हर उस छत को तोडना,
जो
औरतों के लिए बनाई जाती है।
क्या
कहना ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व का,
योग्यता
जिसकी अतुल्य थी।
बन
गई प्रेरणा आने वाली पीढ़ियों के लिए।
आत्मविश्वास
से अपने,
जीत
लिया ज़िन्दगी को।
दिखा
दिया न केवल भारत परन्तु समस्त विश्व को
कि
औरत होना अभिशाप नहीं।
अपने
हिस्से की ज़मीं चुन,
अपना
आसमां भी चुना,
पंख
फैलाने को।
सार्थक
किया अपने नाम को।
उन्मुक्त नदी सी बहती वो नारी।
हर बाधा को दूर कर,
बन गयी मिसाल सबके लिए,
भारत की वो नारी।
भारत की पहली महिला मुख्य चुनाव आयुक्त वी. एस. रमादेवी पर कविता-- (Revised poem)
(Dec. 31, 2020 at 8.30 P. M.)
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