मैं माटी का पुतला,
करोड़ों ख़ामियाँ मुझ में!
फिर भी तू मुझसे प्यार करे,
तो ये तेरा बड़प्पन नहीं तो क्या?
तू कहे कि अच्छाईयाँ मुझ में,
पर मेरी हर अच्छाई तेरे सामने छोटी,
क्योंकि तू वो जो दिल से अच्छा!
मैं खुशकिस्मत हूँ तुझे पा,
क्योंकि तू सब इंसानों से अच्छा!
June 9,2010 at 9:37pm
बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteshukriya--udan tashtari
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