माँ की तस्वीर पर, बेटे ने प्लास्टिक का हार चढ़ा दिया,
इस मंज़र ने पिता का दिल दहला दिया!
बहू तुनक कर बोली, "गंदा भी नहीं होगा,
सिर्फ इतवार को ही धोना होगा!"
पिता का दिमाग सन्न पड़ गया,
दिल की धड़कन को लकवा मार गया!
"बेटे तुमने यह क्या कर दिया?"
"पिताजी रोज़-रोज़ के ताज़े हार का खर्चा बच गया!"
"बेटे उस ने तुम्हे जन्म दिया था!"
"पिताजी, मैंने सब क़र्ज़ उतार दिया था!"
पिता वहाँ से चला आया,
दिल में था दर्द समाया!
सोचा, शायद यही नर्क मुझे था भोगना,
तभी नहीं मिला मौत का बिछौना!
शायद यही देखने के लिए जिंदा हूँ,
पत्नी की तस्वीर पर प्लास्टिक के हार को देख शर्मिंदा हूँ!!!!
June 19, 2011 at 12.43 A.M.
जिंदगी का यही सच है ।
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