हाथ जब तुमने थामा,
कहा कि सात जन्म न छोडूंगा!
मैं तुम्हारा शिव, तुम्हारा राम,
तुम्हारा कृष्ण बन दिखलाऊँगा!
न तुम शिव बन मेरा मान रख पाए,
न मेरे राम बन पाए,
न ही कृष्ण सा प्यार कर पाए मुझसे!
मैंने कब तुमसे शिव माँगा,
कब चाहा कि तुम राम या कृष्ण बनो मेरे!
एक प्रेमी चाहा था,
जो मेरा हाथ थाम
चलता रहे मेरे साथ!
मगर....तुम्हारा साथ,
.....तुम्हारा प्यार
सब मृगतृष्णा निकला!
September 15, 2011 at 10.33 P.M.
bhaut hi sundar...
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