काश ऐसा होता कि तेरी बन आती दुनिया में
शायद इसी जहाँ में स्वर्ग मिल जाता
मगर ऐसा हो न सका
अब ये ख्वाहिश है कि तेरी हो के रह जाऊं
शायद यह भी मुमकिन नहीं मेरे लिए
तेरे चंद लम्हों के दीदार से
आ जाती है जो चेहरे पे रौनक
कई दिन गुज़ार देते हैं हम
बस उसी रौनक का नज़ारा करते!!!!
December 13, 2010 at 11.41 P.M.
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