ख़ता हुई हम से,
आपके मिज़ाजे ख़राब का हाल नहीं पूछा!
माफ़ कर दीजेयेगा हमें!
गुनाहगार हैं आपके!
जो भी सज़ा देंगे,
मंज़ूर होगी,
सर झुका कर मान लेंगे!
ख़तावार हैं
अपनी ख़ता कबूल करते हैं!
नहीं चाहते की आप नाराज़ हो हमसे,
क्योंकि आपकी दोस्ती है हर शेह से प्यारी हमको!
December 28,2010 at 8.35P.M.
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