ज़िन्दगी के सफ़र में
लोग मिलते हैं,
बीछड़ जाते हैं!
कुछ लहरों की तरह आ,
रेत पर अपने निशाँ छोड़ चले जाते हैं!
कुछ अपनी सड़ी-गली बातों से
मूँह में इक कड़वा स्वाद छोड़,
मन को मतली करने पर मजबूर कर देते हैं!
ठंडी हवा के झोंकों से कुछ
तपते मन को सहला जाते हैं!
बारिश की बूंदों से कुछ,
अंतर्मन को पुलकित कर,
चेहरे पर मुस्कान छोड़ जाते हैं!
शराब के घूँट की तरह
कुछ मस्ती में नहला जाते हैं!
जिंदा होने का एहसास दे,
कुछ आत्मा को पवित्र कर,
मन को आज़ादी से आसमाँ में,
विचरने के लिए प्रेरित कर जाते हैं!
ए ख़ुदा, अपनी अमान में रखना मेरे दोस्तों को!
दुःख का हल्का सा झोंका भी छू ना जाए उन्हें,
दोनों हाथ जोड़ यही दुआ माँगती हूँ सबके लिए!!
January 2, 2011 at 10.09 A.M.
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