तेरा हाथ अपने हाथ में थाम,
सरसों के खेत में,
तितलियों के पीछे भागते,
एक-दूसरे के साथ से,
आत्म-विभोर होते,
बसंती हवा के दुलार से,
आनंदातिरेक से लहराते फूलों जैसे झूमते,
गुलाब की कली से,
लालिमा चुराते,
गबरू जैसे खिले गेंदे से,
सुन्दरता बटोरते,
सरसों के पीले फूलों से,
मुस्कुराना सीखते,
दोनों हाथ में हाथ लिए,
प्यार में मग्न,
सबकी नज़र बचा,
बस इक-दूजे के लिए,
साथ..........
नखरियाते, लज्जाते कह भी दिया: "हटो जी, क्या करते हो? कोई देख लेगा!"
May 19, 2012 at 11.51 P.M.
सरसों के खेत में,
तितलियों के पीछे भागते,
एक-दूसरे के साथ से,
आत्म-विभोर होते,
बसंती हवा के दुलार से,
आनंदातिरेक से लहराते फूलों जैसे झूमते,
गुलाब की कली से,
लालिमा चुराते,
गबरू जैसे खिले गेंदे से,
सुन्दरता बटोरते,
सरसों के पीले फूलों से,
मुस्कुराना सीखते,
दोनों हाथ में हाथ लिए,
प्यार में मग्न,
सबकी नज़र बचा,
बस इक-दूजे के लिए,
साथ..........
नखरियाते, लज्जाते कह भी दिया: "हटो जी, क्या करते हो? कोई देख लेगा!"
May 19, 2012 at 11.51 P.M.
No comments:
Post a Comment