आज महफ़िल में बुलाया है तुमने,
गैरों से हँस कर बात यूँ सताया है तुमने!
परवाने जैसे जलते रहे,
तुम्हारी शमा-नुमा महफ़िल में,
हमारे जलने को,
यूँ नज़रंदाज़ किया है तुमने!
तेरी महफ़िल में आये थे तेरे दीदार को,
गैरों की बाँहों में जा,
यूँ सितम किया है तुमने!!
दिल की आग बुझाने आये थे हम,
गैरों के लिए तुम्हारी हंसी ने,
दिल को यूँ जलाया है तुमने!!!
इतने संगदिल हो यह न जानते थे,
इस तरह तड़पाया है तुमने!!!!
परवाने जैसे जलते रहे,
तुम्हारी शमा-नुमा महफ़िल में,
हमारे जलने को,
यूँ नज़रंदाज़ किया है तुमने!
तेरी महफ़िल में आये थे तेरे दीदार को,
गैरों की बाँहों में जा,
यूँ सितम किया है तुमने!!
दिल की आग बुझाने आये थे हम,
गैरों के लिए तुम्हारी हंसी ने,
दिल को यूँ जलाया है तुमने!!!
इतने संगदिल हो यह न जानते थे,
इस तरह तड़पाया है तुमने!!!!
June 02, 2012 at 1.30 A.M.
Palkon ki nami liye, ye Ehsaas hai mere Dil ka…पलकों की नमी लिए, ये एहसास है मेरे दिल का....
ReplyDeleteकोमल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति .......
ReplyDeletethank you Sushma..
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