धुंध छटी
कोहरा हटा
दोनों के चेहरे साफ़ दिखाई देने लगे
जो प्यार उसके चेहरे पर देखने को तरस रही थी
वो नहीं मिला
चेहरे पर केवल उदासीनता के भाव थे
मानो कह रहे हों
कि तुम्हारे प्यार के बदले में देने के लिए
मेरे पास प्यार नहीं
मैं तो केवल कुछ दूर चल पड़ा था तुम्हारे साथ
केवल एक मित्र कि तरह
मैं तो तुम्हारा वो हमसफ़र नहीं
जिसकी तुम्हे तलाश है
मैं तो कुछ दूर साथ चला था
सिर्फ तुम्हारे सफ़र को आसान करने के लिए
अब तुम्हारे मेरे रास्ते अलग हैं
क्योंकि मैं तुम्हारा वो प्यार नहीं
जिसकी तुम्हे तलाश है!!!!!!!!!(28.03.2010)
बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.
ReplyDeletesukriya suman and sanjay...
ReplyDelete