मैं बंजर धरती,
प्यासी,
किसका पेट भरूँ!
भूखे-प्यासे बच्चे,
किसको शरण दूँ!
आसमान में,
बादल की हलकी सी आहट हुई!
मैं चौंक गयी!
लगा, कि मुझे तृप्त करने आया है!
मगर, वो मुँह फेर,
निकल गया!
सूखी आँखों से,
एक आँसू भी न छलका!
दिल पर जैसे एक वज्र सा गिर पड़ा!
वो चला गया,
मैं प्यासी ही रह गयी!
बेहाल,अतृप्त,अधूरी!!
मेरे बच्चे उम्मीद-भरी नज़रों से
मुझे देखते हैं!
दिल में इक फाँस सी चुभती है!
स्वयं प्यासी,
हाथ उठा ख़ुदा को कहती हूँ,
"तू भी तो पिता है,
जैसे मैं माँ हूँ!
इन बच्चों को अपने आशीर्वाद से
निहाल कर!
इनकी प्यासी आत्मा को
सकूँ बक्श
कि वो तृप्त हो सर उठा कह सकें--
वाह ख़ुदा तेरी कुदरत,
वाह ख़ुदा तेरी खुदाई!!!"(15.05.2010)
BEAUTIFUL WRIGHT MUMMY JI
ReplyDeletethanx beta ji.....
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