वो चिड़िया तुम्हारे पास कहाँ से आती
वो तो अभी बैठी है मेरे कन्धों पर
जो हवा तुम्हें मेरे होने का पता दे
वो हवा आज कुछ मंद सी है
बादलों कि गरज आई तो थी मेरा पैगाम ले कर
मगर वो भी कहीं खो गयी इस फैले आसमान में
तुम्हारे संग तो मैं सदा से हूँ
फिर क्या करना इन सब से पैगाम ले कर
अपने मन में झाँक कर देखो
मुझे वहीँ पाओगे
जहाँ छोड़ गए थे कुछ समय पहले !!!(13.05.2010)
ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.
ReplyDeletetum meri kavitaayein padhte ho aur un par kuchch likhte bhi ho---bahut achcha lagta hai padh kar--- shukriya sanjay....
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