मिट्टी चों निकलें हाँ,
इक दिन मिट्टी हो जाणा है!
ऐवें पये मेरा-मेरा करदे हाँ,
सब ऐथे ही रह जाणा है!
हीरे-मोती,सोने-चांदी दा आडंबर क्यों?
सिकंदर वी खाली हाथ चला गया!
ऐवें न इतरा मेरे दोस्त,
सब मिट्टी हो नाल न कुछ जाणा है!!!
August 1, 2010 at 4.50 P.M.
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