सब कुछ है फिर भी न जाने किस चीज़ की कमी है?
तेरे साथ हूँ सदा, फिर भी क्यों तन्हाई है?
खिलखिलाता हूँ तेरे साथ और हँसता भी तेरे साथ,
फिर भी न जाने क्यों हर रात आँखों में नमी है?
तुम हो फिर भी न जाने क्यों दिल का दरवाज़ा बंद है?
अब यह एहसास है,
कि तुम हो मेरे साथ,
पर मैं फिर भी अकेला हूँ!!!!!
April 30, 2011 at 9.33 A.M.
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