तुम हो भी साथ
और नहीं भी
सामने भी हो
और आँखों से ओझल भी
तुम्हारे शब्दों को समेट
अपनी झोली में
चली आई
कि जब तुम नहीं
तो तुम्हारे शब्दों के साथ
वक़्त गुजरेगा
अच्छे, बुरे,
प्यार भरे,
कुछ अपने में कई कटाक्ष लिए
कुछ अपने में मेरा पूरा संसार समेटे
तुम्हारे साथ की दुहाई देते
पर यह दिल है कि कहता है
कि तुम नहीं हो
कहीं नहीं हो.....
April 19, 2011 at 5.23 P.M.
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