बेटी का पाणी-ग्रहन संस्कार तय हो गया!
गाड़ी, फ्रिज, ए.सी., फ्लैट स्क्रीन टी.वी.,
लैपटॉप, म्यूजिक प्लयेर, पाँच किलो सोना,
बारातियों के लिए राजसी भोग,
सब कुछ तो माँग लिया था,
लड़के वालों ने!
" अरी भागवान, डर मत,
सब हो जाएगा,
मैं जिंदा हूँ अभी!"
साब से मिन्नत करनी होगी,
दोस्तों के पास भी जाना होगा!
रिश्तेदारों के सामने,
हाथ जोड़ने होंगे!!
डर तो था मन में,
नहीं हो पाया तो.......
माँ तो माँ है,
कैसे न चिंता करे!
डर दुबक कर,
दिल के एक कोने में बैठ सा गया था!
कैसे होगा सब,
आख़िर बेटी के पाणी-ग्रहन का सवाल है?
बिटिया डरी सी,
पिछले कमरे में दुबकी बैठी थी!
घबराहट थी, डर था,
इतना न सहेज पाए बापू,
तो क्या मरना होगा मुझे भी?
क्या बड़ी दीदी की तरह,
गले में फंदा लगा,
लटकना होगा,
पीछे वाले कमरे के पंखे से????
(किसने कहा निडर हो??? सबका डर उनके साथ ही स्वास लेता है हर समय!!!!!!)
July 05, 2012 at 7.21 P.M.
inspired by Maya Mrig's lines---- सोचा, चाहा भी पर ....बहुत डर लगा अपना डर लिखते हुए....
(अपने डर सहेज कर जीता हूं...तुम कहते हो डर डर के जीता हूं... )
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