शब्द कभी नहीं मिटते,
अंकित रहते हैं उनके प्रतिबिंब,
हमारे मुख पर!
मनोवेग, भावना के साथ,
बहते हैं हमारी रगों में,
खून की तरह!
अतीत तो जी चुके थे हम,
साथ-साथ!
निशब्द भी हुए थे कई बार!
निशब्दता ने धूंधलाया नहीं था कभी,
अतीत के आईने को!
अद्भुत था हमारा अतीत!
और तुमने उसे गलती का,
भयावह नाम दे दिया!
प्रेम कभी गलत नहीं होता,
गलत तो निर्णय होते हैं!
(गलत-सही के लेबल कब से लगा दिये तुमने-----प्रेम तो शर्तों से नहीं किया था हमने............)
June 4, 2013 at 11.19 A.M.
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