अजब है फेसबुक की दुनिया!
हज़ारों मील दूर बैठे लोग,
मित्र बन जाते हैं!
धीरे-धीरे, वही लोग,
रोज़ मर्रा की ज़िंदगी का,
हिस्सा बन जाते हैं!
रात में कुछ लिख कर,
पोस्ट करो!
और फिर इंतज़ार करो,
उन अनदेखे, अनजाने मित्रों के,
लाइक्स का, टिप्पणियों का!
नहीं आती जब कोई प्रतिक्रिया,
बोझिल हो जाता है मन!
'देखा नहीं क्या किसी ने,
मेरी पोस्ट को?
पसंद नहीं आया क्या,
जो मैंने लिखा है?
इतना भी समय नहीं,
क्या किसी के पास,
देख और पढ़ ले,
मैंने क्या लिखा है?'
एक बैचैनी घेर लेती है!
कुछ अच्छा नहीं लगता!
ध्यान बस उसी ओर रहता है!
कुछ ऐसे भी हैं,
'आइ लव मॉम एंड डेड' पेज को
लाइक करते हैं!
पोस्ट करते हैं अपनी वॉल पर!
जताते हैं उन आभासी मित्रों को,
'देखो मैं कितना चाहता हूँ,
अपने माता-पिता को!'
दुत्कारते हैं जो असल ज़िंदगी में,
अपने ही माता-पिता को!
देशभक्ति के गीत पोस्ट करते हैं,
अपनी वॉल पर!
खास मित्रों को कहते सुना है जिनको,
'भगत सिंह था बहुत बहादुर,
देश के लिये जान दे दी उसने!
पर, मेरे घर भगत सिंह पैदा हो,
ऐसा कब चाहा है मैंने!'
खामोश तन्हा रातों में,
उनकी वो बेबाक बातें,
फिर वीडियो चॅट(chat) पर,
उनका वो शर्माना,
वो मासूम सी हँसी!
सोने से पहले,
फेसबुक पर उनकी तस्वीर देखना!
मन ही मन उन्हें प्रेम करना,
फिर एक दिन खबर का आना,
फेसबुक की अधिसूचना (नोटिफिकेशन) के ज़रिये,
कि उनकी शादी है,
आते महीने कि २० तारीख को!
आभासी दुनिया के प्रेम का,
केवल आभास बन रह जाना!
तब समझ में आना,
जो थे हमारे लिये जीने की वजह,
हम केवल उनकी फ्रेंड लिस्ट में इक नाम थे!
(दस्तक दे दी है फेसबुक की आभासी दुनिया ने हमारी असल ज़िंदगी में-----झाँक रही है ये हमारे भीतर---- अब कुछ नहीं रहेगा छुपा--- बेनूर लगती है ज़िंदगी फेसबुक के बिना-------)
June 5, 2013 at 6. 23 P.M.
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