भोंपू, लाल बत्ती वाली गाड़ी का,
ज़ोर से बोल उठा-
"हट जा मेरे रास्ते से,
मैं कौन हूँ पता नहीं क्या?"
वातानाकूलित गाड़ी में बैठे अफसर जैसे,
लाल बत्ती भी अफसरी झाड़ने से बाज़ न आई!
लाल बत्ती के भीतर बैठा आँखों से अँगारे उगलता,
चेहरे पर परम शान्ति का मुखौटा ,
अपने होने के अर्थ को देख खुश होता है
भीतर ही भीतर
जाहिर नहीं करता .....
खुश दिखने के ढेरों उपकरण हैं उसके पास
इतने तनाव में क्यूं रहता है फिर ...किसी को क्या पता...
सब बंदगी में हैं उसकी,
बंदों की जात बंदगी के लायक देवता ढूंढ ही लाती है....
और कमाल है....लाल बत्ती रोशनी से ज्यादा शोर करती है...
तब भी कितनी चमक रहती है....कितनी दमक रहती है
उसे चलाते ड्राइवर के चेहरे तक पर....
असमंजस में हूं लाल बत्ती की गाड़ी में बैठे
उस शख्स से भी बड़ी क्यों है बत्ती....
"हट जा मेरे रास्ते से,
मैं कौन हूँ पता नहीं क्या?"
वातानाकूलित गाड़ी में बैठे अफसर जैसे,
लाल बत्ती भी अफसरी झाड़ने से बाज़ न आई!
लाल बत्ती के भीतर बैठा आँखों से अँगारे उगलता,
चेहरे पर परम शान्ति का मुखौटा ,
अपने होने के अर्थ को देख खुश होता है
भीतर ही भीतर
जाहिर नहीं करता .....
खुश दिखने के ढेरों उपकरण हैं उसके पास
इतने तनाव में क्यूं रहता है फिर ...किसी को क्या पता...
सब बंदगी में हैं उसकी,
बंदों की जात बंदगी के लायक देवता ढूंढ ही लाती है....
और कमाल है....लाल बत्ती रोशनी से ज्यादा शोर करती है...
तब भी कितनी चमक रहती है....कितनी दमक रहती है
उसे चलाते ड्राइवर के चेहरे तक पर....
असमंजस में हूं लाल बत्ती की गाड़ी में बैठे
उस शख्स से भी बड़ी क्यों है बत्ती....
June 21, 2012 at 6.03 P.M.
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