औरत पीये तो छुप कर, मर्द पीये तो खुल कर!
औरत पीये तो शर्मिंदगी, मर्द पीये तो मर्दानगी!
औरत पीये तो संस्कृति के खिलाफ,
मर्द पीये दिन-रात बेबाक!
औरत पीये तो जीना हराम,
मर्द पीये सरे आम!
कैसी विडम्बना है रे समाज,
मर्द पीये तो सही,
औरत पीये तो चरित्र खराब....
August 7, 2011 at 9.28 P.M.
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