बहुत कह चुके थे एक दूसरे को,
बहुत सुन चुके थे एक दूसरे को!
शब्दों के कई अर्थ निकाल,
अब दोनों शब्दों का आवरण उतार,
निशब्द खड़े थे इक दूजे के साथ!
अब उनकी चुप्पी बोल रही थी!
शायद अब उन्हें शब्द नहीं चाहिए थे,
अपने रिश्ते को और मज़बूत करने के लिए!
अब तो चुप्पी वो सब कह रही थी,
जो कभी शब्द न कह पाए!
अब वो और उनकी चुप्पी,
चल रही थी दाल हाथों में हाथ!
शब्दों का क्या काम था उनके बीच,
जब चुप्पी ने कह दिया था सब!!!!
August 8, 2011 at 6.04 PM.
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