सपना ने कई सपने देखे होंगे
अपनी इस कच्ची उम्र में!
गुडिया से खेलेगी,
उसका ब्याह रचाएगी!
उसे क्या पता था,
कि सब सपने सपने ही रह जायेंगे!
उसे न तो गुडिया ही मिली,
न ही उसका ब्याह रच पाया!
उसके हाथ में थमा दी झाड़ू,
बचपन उसका खो गया कूड़े में!
न गुडिया न किताब,
उसके दुःख का नहीं कोई हिसाब!
पर, क्या वो जानती है
कि वो दुखी है?
उसे क्या मालूम कि गुडिया क्या और किताब क्या?
उसके लिए तो झाड़ू ही उसके जीवन की वास्तविकता है!!!!
August 4, 2011 at 5.54 P.M.
(inspired by maya mrig's post--कितनी अच्छी है काम वाली बाई की छह साल की बेटी सपना---खेल-खेल में पूरे घर का झाडू़ पौछा कर डालती है---)
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