आज फिर खादी पहन कर निकला नेता,
'किसी चीज़ की कमी न होगी तुम्हें,' वो कहता!
खादी के मायने न समझता,
उसे बदनाम कर, अपनी जेबें भरता!
नायक खादी पहन दिखावा न करता,
केवल देश के लिए जीता, देश के लिए मरता!
न राजनीती का दम भरता,
न सत्ता के पीछे भागता!
सिर्फ आम आदमी के लिए लड़ता,
उसे इंसाफ दिलाने के लिए तत्पर रहता!
गर नायक है तुझे बनना,
नेता के पीछे मत भागना!
नेतागिरी से तो कुछ हासिल नहीं,
लोगों का नायक बन तो सब सही!
नेता जान बचाता भागता,
नायक के पीछे जहाँ चलता!!!!
August 30, 2011 at 12.23 A.M.
written after reading Jagjot Singh's post....
नेता और नायक में अंतर !
जो सत्ता के पीछे भागे वो नेता, और जिसके पीछे सत्ता भागे वो नायक, ..
नेता सदेव समाज को पीछे रख कर खुद आगे चलता है और नायक समाज के साथ चलता है..
नेता समाज की संपत्ति को स्वयं की मानता है, नायक स्वयं को भी समाज की संपत्ति मानता है
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