PART--I
मंगल गाओ, दीप जलाओ,
मेरे जन्मदिन पर मुस्कुराओ!
मैं आया तो तुम खुली हवा में साँस ले पाए,
तुम्हारे सपने साकार हो पाए!
बहुत संघर्ष के बाद मिला हूँ तुम्हें,
मुझे यूँ ही न खो देना!
रहूँगा साथ हर समें,
मुझे अपने दिल से न बिसरा देना!!!!
PART--II
अपने लहू से सींचा जिन्होंने हिंद की आज़ादी को,
आज उन से देश पर मिटने वाले सिरफिरे कहाँ हैं?
खादी पहन जिन्होंने अपने देश की आन बचाई,
आज होती है उसी खादी की रुसवाई!
पहन कर खादी निकलते हैं नेता शान से,
कितने गिर गए हैं सब अपने ईमान से!
कहते थे देश के लिए मर-मिटेंगे,
मुकर गए हैं आज अपनी जुबान से!
खा गए देश को, खोखला कर दिया सोने की चिड़िया को,
कहते हैं फिर भी गर्व है हिन्दुस्तानी होने पे!!!!!
PART--III
रस्मों-रिवाजों में जकड़ी,
मैं आज़ादी से पहले आज़ाद थी!
गाँधी संग चल,
मैं स्वदेश का हिस्सा थी!
आज भी मैं उन्हीं रस्मों में जकड़ी हूँ,
पर आज कोई गाँधी नहीं,
जो मुझे स्वदेशी की राह पर ले जाए!
किसका साथ दूं , किस आन्दोलन में,
छलनी है सीना देश का भ्रष्टाचार से!
आज प्रण लेती हूँ दिल से,
बदलाव लौंगी अपने विचारों से!
रस्मों-रिवाज़ भी दबा न पायेंगे मन के वेग को,
आज लड़ना है देश के भ्रष्टाचार से!!!!
August 15, 2011 at 10:12 A.M.
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