रियालटी शोज़ का चलन सा चल पड़ा है
जिस भी चैनल पर देखो
रियालटी शोज़ की भरमार है
खुलम-खुला दर्शकों की भावनाओं संग खेला जा रहा है
दर्शक हैं कि बिना सोचे-समझे
उन बनाई हुई कृत्रिम भावनाओं में बहते जा रहे हैं
रिश्तों की तो जैसे नुमाईश लगी है
कभी दादी-दादा का दिन है
तो कभी नानी-नाना का
कभी बहन-भाई को एपिसोड समर्पित है
तो कभी माता-पिता को
दोस्ती को भी पीछे नहीं छोड़ा
हर रिश्ता बिकाऊ है
हर रिश्ते के नाम पर
चैनल की रेटिंग बढ़ाई जा रही है
जिस भी चैनल पर देखो
रियालटी शोज़ की भरमार है
खुलम-खुला दर्शकों की भावनाओं संग खेला जा रहा है
दर्शक हैं कि बिना सोचे-समझे
उन बनाई हुई कृत्रिम भावनाओं में बहते जा रहे हैं
रिश्तों की तो जैसे नुमाईश लगी है
कभी दादी-दादा का दिन है
तो कभी नानी-नाना का
कभी बहन-भाई को एपिसोड समर्पित है
तो कभी माता-पिता को
दोस्ती को भी पीछे नहीं छोड़ा
हर रिश्ता बिकाऊ है
हर रिश्ते के नाम पर
चैनल की रेटिंग बढ़ाई जा रही है
सबसे संवेदनशील रिश्ता-- माँ का
उसे भी कहाँ छोड़ा
सबसे अधिक रुलाया जाता है माँ के एपिसोड में
कोई प्रतियोगी नहीं
जिसे माँ से प्यार न हो
या जिसकी माँ ने उसे उस मंच तक पहुँचाने में
अनगिनत बलिदान न दिए हों
माँ केवल माँ, कितनी अच्छी माँ
उसे भी कहाँ छोड़ा
सबसे अधिक रुलाया जाता है माँ के एपिसोड में
कोई प्रतियोगी नहीं
जिसे माँ से प्यार न हो
या जिसकी माँ ने उसे उस मंच तक पहुँचाने में
अनगिनत बलिदान न दिए हों
माँ केवल माँ, कितनी अच्छी माँ
हो भी सकता है
परन्तु, क्या सच में ऐसा है?
क्या ऐसी अभागी माएँ नहीं
जिन्होंने सब किया होगा
अपने बच्चों के लिए?
बलिदान भी दिए होंगे,
उनकी ख़ातिर झूठ भी बोले होंगे?
पर सब व्यर्थ
क्योंकि उनके बच्चों को
माँ का किया कुछ दिखाई नहीं देता
विवेक काम नहीं करता शायद उनका
परन्तु, क्या सच में ऐसा है?
क्या ऐसी अभागी माएँ नहीं
जिन्होंने सब किया होगा
अपने बच्चों के लिए?
बलिदान भी दिए होंगे,
उनकी ख़ातिर झूठ भी बोले होंगे?
पर सब व्यर्थ
क्योंकि उनके बच्चों को
माँ का किया कुछ दिखाई नहीं देता
विवेक काम नहीं करता शायद उनका
वरगलाना आसान होता है शायद उनको
या उनकी अपनी सोच, नहीं देख पाती
सब साफ़
इक पर्त जम जाती है
अविश्वास की, आखों पर
कोई अपमान कर दे
या कोई तिरस्कार
नहीं उठती आवाज़ ऐसे बच्चों की
अपनी माँ की अस्मिता बचाने के लिए
या उनकी अपनी सोच, नहीं देख पाती
सब साफ़
इक पर्त जम जाती है
अविश्वास की, आखों पर
कोई अपमान कर दे
या कोई तिरस्कार
नहीं उठती आवाज़ ऐसे बच्चों की
अपनी माँ की अस्मिता बचाने के लिए
उन्हें दिखाई देती हैं
केवल माँ की, अपने दिमाग में उपजी, गलतियाँ
केवल माँ की, अपने दिमाग में उपजी, गलतियाँ
इन व्यथित माँओं की तस्वीर
क्यों नहीं दिखाते ये रियालटी शोज़?
कैसा प्रश्न है?
कभी नहीं दिखाएँगे
ऐसे कड़वे सच को
क्योंकि सच न तो सब देख पाते हैं
न ही उसे समझ पाते हैं
क्यों नहीं दिखाते ये रियालटी शोज़?
कैसा प्रश्न है?
कभी नहीं दिखाएँगे
ऐसे कड़वे सच को
क्योंकि सच न तो सब देख पाते हैं
न ही उसे समझ पाते हैं
संसार भरा है
ऐसी अभागी माँओं से
कोई बच्चा नहीं आता
उनके आँसूं पोछने
ऐसी अभागी माँओं से
कोई बच्चा नहीं आता
उनके आँसूं पोछने
पर वो तो माँ है
वो तो तब भी दुआ करती है
अपनी बच्चों की खुशी के लिए,
उनकी सलामती के लिए,
उनके स्वास्थ्य के लिए,
बरकत के लिए,
क्योंकि वो तो माँ है
वो तो तब भी दुआ करती है
अपनी बच्चों की खुशी के लिए,
उनकी सलामती के लिए,
उनके स्वास्थ्य के लिए,
बरकत के लिए,
क्योंकि वो तो माँ है
(December 31, 2019 at 1.30 A. M.)
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