उसकी ओर आते वो काले साये,
खूँख़ार, डरावने!
वो रूह को छलनी कर देने वाली
हँसी!
वो जिस्म से कपड़ों को तार-तार करने वाले
हाथ!
वासना का नंगा नाच!
विभस्त नज़ारा!
खूँख़ार, डरावने!
वो रूह को छलनी कर देने वाली
हँसी!
वो जिस्म से कपड़ों को तार-तार करने वाले
हाथ!
वासना का नंगा नाच!
विभस्त नज़ारा!
तुम क्या अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाओगे?
तुम्हें तो केवल जिस्म नोचना आता है!
तुम तो केवल अंतर्मन को घायल कर सकते हो!
तुम्हें तो केवल जिस्म नोचना आता है!
तुम तो केवल अंतर्मन को घायल कर सकते हो!
जाओ पहले श्राप दे,
पत्थर में बदलना बंद करो;
अग्नि- परीक्षा लेना बंद करो;
धरती में समाने पर मजबूर न करो;
भरी सभा में जाँघ पर बिठाने का विचार त्यागो;
चीर- हरण सी घिनौनी हरकत से खुद को रोको,
चलती बस में बलातकार कर,
मेरे अन्दर लोहे की सलाखें न डालो!
पत्थर में बदलना बंद करो;
अग्नि- परीक्षा लेना बंद करो;
धरती में समाने पर मजबूर न करो;
भरी सभा में जाँघ पर बिठाने का विचार त्यागो;
चीर- हरण सी घिनौनी हरकत से खुद को रोको,
चलती बस में बलातकार कर,
मेरे अन्दर लोहे की सलाखें न डालो!
जिस दिन इस सब से ऊपर उठ जाओ,
उस दिन राष्ट्रिय, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाना!
इस से पहले मत ढोंग करो
कि तुम मुझे समान मानते हो!
मत कहो कि मेरे लिए कुछ भी कर सकते हो!
उस दिन राष्ट्रिय, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाना!
इस से पहले मत ढोंग करो
कि तुम मुझे समान मानते हो!
मत कहो कि मेरे लिए कुछ भी कर सकते हो!
करना है तो अपने अन्दर कि वासना को मारो
और फिर मनाओ महिला दिवस हर रोज़!!!!
और फिर मनाओ महिला दिवस हर रोज़!!!!
(March 09, 2017 at 3.37 A.M.)
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