मेरी कोख से पैदा हुआ
मेरे लहू के कतरों ने जिसे सींचा
मेरे कलेजे का टुकड़ा
मेरा अंश
मेरी ऊँगली पकड़ कर चला
मेरी बातों से हँसा
मैं गीले में सोयी
उसे सूखे में सुलाया
उसके हँसने से हँसी
उसके रोने से रोयी
आज वह कहता है
"माँ तू कुछ मत कह
तेरे पास मेरे लिए वक़्त नहीं
मैं अपनी ज़िन्दगी खुद जी लूँगा
बस मुझे रहने दे, छोड़ दे"
मैं एक माँ---
कलेजे के टुकड़े ने कलेजे के टुकड़े कर दिए
आज बैठी हूँ इन टुकड़ों को समेटने
तो सिवाए दर्द के कुछ नहीं मिलता
इक तीस सी उठती है
और दर्द का एहसास औए गहरा हो जाता है
कहाँ है मेरा वो लाल
जो मेरे लिए कुछ भी कर सकता था
आज इस माँ की व्यथा को कौन समझ सकता है
शायद माँ की नियती यही है
घोंसला छोड़ कर उड़ जाता है इक दिन नन्हा पंछी
माँ बस उसे उड़ कर जाते हुए देखती रहती है!!!!!!!!!!(20.12.2009)
shayad maa ki niyti yahi hai
ReplyDeleteghosla chod kar ek din ud jaata hai nanha panchi
maa bas usse udhte huye dekhti rehti hai!!!!!!!!!
MAA agar ye sach jaan jaye to chiya ki tarah ud sakti hai swachand ..aakash mein ..magar aisa kaha ho paatta hai ...sunder prastuti sahaj v sacha bayan
wah,
ReplyDeleteek dard bhari vyatha jo sunder aksharon mai utaar di aapne
thanx rakesh and parvinder...
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