CLOSE TO ME

My friends,
It feels good to have my own blog.....there are things which are close to my heart and things which have affected me one way or the other.....my thoughts,my desires,my aspirations,my fears my gods and my demons---you will find all of them here....I invite you to go through them and get a glimpse of my innermost feelings....................

Saturday, January 9, 2010

एहसास

आज जब गुजरी उस गली से
तो देखा वो मकान जो कभी घर था
दीवारों से लिपटी यादें
चीख-चीख कर पुकार रही थीं
शायद कह रहीं थीं
की कभी इस मकान में हँसी बसती थी
आज हर तरफ मातम का माहौल है
खिड़की दरवाज़ों को छू कर जो हवा आयी है
तुम्हारे न होने का पता बता रही है
आज इस मकान की हर दीवार
तुम्हारे न होने के एहसास तले दबी जा रही है
ढह रहे हैं दरो-दीवार
क्योंकि तुम नहीं हो
शायद यह मकान फिर कभी घर न बन पाए
शायद यहाँ फिर कभी हँसी न बस पाए
क्योंकि तुम नहीं हो
आज गुजरी जब उस गली से
तो देखा वो मकान जो कभी घर था!!!!!(13.03.2009)

2 comments:

  1. deh rehe hai daro deewar kyunki tum nahi ho ...wah ....makan aur ghar ka yehi bhed hai tum yani pyar ,viswas ,sradhhaa ,tum yani parasparta,tum yani jeeena ka aadhar ..enhi se makan ghar mein badalta hai ....tum koi sharir nahi aatma hai ..uski sughandh ko talasti tumari ye kavita tumhe shikher per pahunchayegi ...sabd seedhe aur sachhe hai .....badhai

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