भूख, जो हर इन्सान के अंदर होती है
किसी को तख्तो-ताज की भूख है
तो किसी को दौलत की
किसी को भगवान बनने की भूख है
तो किसी को शैतान बनने की
किसी को औरत के जिस्म की भूख है
तो किसी को उसे मिटाने की
हर व्यक्ति अपनी भूख से घिरा,
अधमरा, बेजान सा,
जिए जा रहा है
पता नहीं क्यों;
किसके लिए?
शायद अपनी भूख को शांत करने के लिए
बिना सोचे-समझे,
बेमकसद,
केवल जिंदा है
अपनी भूख को मिटाने के लिए!!!(17.06.2002)
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ReplyDeleteस्वागत है आपका जी इस ब्लोग जगत में जैसा कि आपको अजय्न भाई ने कहा पढिए भी लिखने के साथ, भविष्य के लिए शुभकामनाएं
ReplyDeleteअजय कुमार झा
shukriya ajay kumar and ajay jha...
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