राजीव---ये सब क्या है? क्यों है?
नीनू---इस लिए क्योंकि हमें इसी तरह इस जीवन को जीना है!
राजीव---तुम, तुम क्यों हो?
मैं मैं क्यों हूँ?
नीनू----तुम और मैं हैं तभी तो यह दुनिया है,
नहीं तो सब वीराना है!
राजीव---सब कुछ अजीब है, जिस का जैसा नसीब है!
वही वो पता है, कुछ न ले जाता है!
अपना अपना नसीब है,
कोई गरीब है, कोई अमीर है!
कोई भूखा रहता है,
कोई खता खीर है!
नीनू----ईश्वर की बनायी दुनिया है,
लेता भी वही और वही देता है!
जो नसीब है वही मिलता है,
इंसान के चाहने से क्या होता है!
राजीव---हम सब कठपुतली हैं,
डोर उस के हाथ है!
दिखता किसी को भी नहीं,
पर हर पल साथ है!
किसी को बनाता है,
किसी का विनाश है!
नीनू---ऐसी ही दुनिया है
ऐसे ही चलेगी
हमें तो बस चलना है
डोर चाहे उसके हाथ है!!!!
July 19, 2011 at 6:28 P.M.
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