CLOSE TO ME

My friends,
It feels good to have my own blog.....there are things which are close to my heart and things which have affected me one way or the other.....my thoughts,my desires,my aspirations,my fears my gods and my demons---you will find all of them here....I invite you to go through them and get a glimpse of my innermost feelings....................

Wednesday, June 30, 2010

ਜਿਥੇ ਪਯਾਰ ਵਸਦਾ ਓਥੇ ਰਬ ਦਾ ਨੂਰ ਵਸਦਾ
ਪਯਾਰ ਤੋ ਉਪਰ ਕੁਝ ਨਹੀਂ
ਬਾਰਿਸ਼ ਦੇ ਪਯਾਰ ਚ ਮੋਰ ਨਚਦਾ
ਸੂਰਜ ਦੇ ਪਯਾਰ ਨਾਲ ਸੂਰਜਮੁਖੀ ਖਿਲਦਾ
ਚੰਦ ਦੇ ਪਯਾਰ ਚ ਪਪੀਹਾ ਕੂਕਦਾ... See More
ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਦੇ ਪਯਾਰ ਦੀ ਮੀਰਾ ਦੀਵਾਨੀ
ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਦੇ ਪਯਾਰ ਚ ਰਾਧਾ ਨਚਦੀ
ਜਿਦ ਦਿਲ ਚ ਪਯਾਰ ਨਹੀਂ
ਓ ਸ਼ੈਤਾਨ ਦਾ ਘਰ
ਪਯਾਰ ਹੈ ਤਾਂ ਸਬ ਕੁਛ
ਪਯਾਰ ਬਿਨਾ ਜੀਵਨ ਨੀਰਸ!!!!

जिथे प्यार वसदा ओथे रब दा नूर वसदा
प्यार तों ऊपर कुझ नहीं
बारिश दे प्यार च मोर नाचदा
सूरज दे प्यार नाल सूरजमुखी खिलदा
चंद दे प्यार च पपीहा कूकदा
कृशन दे प्यार दी मीरा दीवानी
कृशन दे प्यार च राधा नचदी
जिस दिल च प्यार नहीं
ओ शैतान दा घर
प्यार है ताँ सब कुछ
प्यार बिना जीवन नीरस!!!
June 30, 2010 at 4.26 P.M.

Sunday, June 27, 2010

उसने जो माँगा है
मैं क्योंकर उसे न दूं
मेरा वजूद उसके दम से है
मेरी हर सांस पर उसका हक़ है
वो है है तो मैं हूँ
वरना मैं तो रेत का इक ज़र्रा थी
उसने छुआ तो मैं फलक जा पहुँची
तस्वीर-ओ-तकदीर क्या
वो जान भी माँग ले
तो गम नहीं
जान देने से ग़ुरेज़ नहीं
कि जान भी उसके नाम से ही है!!!!
June 27,2010 at 9.42 P.M.
अकेले ही आयें हैं
अकेले ही चलना है
कोई हमसफ़र बन जाए तो ठीक
वरना अकेले ही बोझे-ज़िन्दगी ढो लेंगे हम!!!!!!!!!
June 27, 2010 at 9.51 A.M.
बस इस पल को जी ले
इस पल में ही ज़िन्दगी है
कल किसने देखा
कल की क्यों फ़िक्र करें
जो है बस आज है
कल तो कभी आता नहीं...
June 27, 2010 at 10.17 A.M.

Saturday, June 19, 2010

बन्दे नू ताँ लालच ने मार दित्ता
लालच दा मारिया
ओह क्यों न ज़खीर करे
पंख-पखेरू ने एस सब तों ऊपर
ते ओह क्यों न आज़ादी नाल आसमान च उडदे फिरन!!!...
June 18, 2010 at 11.49 P.M.
मेरा हाणी जे बनना सी,
ते कब्र च ग़रक क्यों हो गए?
मेरे नाल रह के वेखदा,
ज़िन्दगी दी खूबसूरती,
जो तेरे नाल सी!
हुन तू नहीं,
ते कहे दी खूबसूरती?
ग़रक हो गया है सब कुछ!
बस हुन ते तैनू मिलन दा अरमान है!
बुला ले मैनू आपणे कोल!
तेरी ही कबर च तेरे नाल रहांगी सदा!!!!
June 18, 2010 at 11.04 P.M.

Thursday, June 17, 2010

zillions of stars..
hundreds of galaxies..
what are we..
mere specks..
very small..
very tiny..
so,why not shine
like the diamond
and put our name on the sky...
June 17,2010 at 11.51 P.M.

Sunday, June 13, 2010

हम माटी के पुतले,
इक दिन इसी माटी में मिल जाना है!
कोई पहले,कोई बाद में,
सब ने उसके घर जाना है!
बस जो वक़्त बिताया
इक-दूजे के साथ,
वही साथ रह जाना है!
वक़्त गुजरा अच्छे से
यही सोच मुस्कुराना है!
जो गया है उसकी पनाह में,
उसे खुद वही देखेगा!
हम पर भी है उसका नज़रे-करम,
यही सोच जीवन जीते जाना है!!!!
June 13, 2010 at 1.29 A.M.

Friday, June 11, 2010

न पूछते जो वो हाल मेरा
तो हम उनसे शिकवा करते!
अब जो पूछा है हाल
तो हाले-दिल क्या बयाँ करें?
उसके बिना इक आँसू
अभी भी आँख में अटका है!
उनसे मिलने की चाह में जीए जा रहा हूँ
उम्मीद का मोती
सीप की तरह दिल में दबा रखा है!!!!
June11, 2010 at 12.44 A.M.
ऐ मेरे दोस्त मेरे हमनफ़ज़
तू मेरे अंतर्मन में समाया है
तू है सब कुछ है
ज़िन्दगी में कोई कमी नहीं है!
तू मेरे साथ इस तरह है
जैसे शारीर संग साया है!
माना की दूरी है हम में
पर मन से दूर नहीं हम!
इक रिश्ता है तेरी-मेरी आत्मा का
जो चाह कर भी झूठ्लाया नहीं जा सकता!!!
June 11, 2010 at 12.23 A.M.

Wednesday, June 9, 2010

घर की दर-ओ-दीवार,
माँ का लाड़,
पिता का प्यार,
आज भी याद आता है,
तो मैं फिर वही
नन्हीं-सी बच्ची
बन जाती हूँ!
दुनिया की नज़रों में,
बहुत बड़ी हो चुकी हूँ!
पर माता-पिता के
प्यार-ओ-दुलार के लिए
अभी भी बची हूँ!
नहीं चाहती कभी भी बड़ा होना,
उनके सामने,
कि कहीं मुझे बड़ा समझ,
उनका दुलार कम न हो जाए मेरे लिए!
जानती हूँ स्वार्थ है इस में मेरा,
पर उनके दुलार के लिए,
स्वार्थी कहलाना भी मंज़ूर है मुझे!!!!
June 9, 2010 at 2.06 P.M.

Tuesday, June 8, 2010

गर प्यार है सच्चा मेरा,
गर मोहब्बत में मेरी है असर,
मेरी आहों को तुम भूला न सकोगे!
जाओगे जहाँ-जहाँ तुम,
पाओगे हर जगह मुझे!
नज़रों से दूर कर दो,
चाहे दिल से भूला दो,
अपनी आत्मा के हर कोने से निकाल न पाओगे!!
June 8, 2010 at 7.12 P.M.

Monday, June 7, 2010

जो तीर चले तो सीने को भेद दे,
जो दरिया रुके तो बर्बादी फैला दे!
जो मेरे संग चले,
तो जाने मेरी गहराई को!
मैं शब्दों के बाण नहीं चलाता!
न ही मैं दरिया की तरह रुक सब तहस-नहस करता!
मैं पेड की वो छाँव
जो ठंडक दे!
मैं वो कायनात
जो रंगत दे!
मैं वो दुनिया
जो अपने दुश्मनों को भी ख़ुशी दे!!!
June 6, 2010 at 12:34am
तूफानों से जो डरते हैं डरें!
हम तो तूफानों में भी कश्ती डाल देंगे,
बशर्ते तू साथ हो!!!!!!!!!!!!
June 6, 2010 at 12:04am
तेरी गहरायियो में गुम हो जाने को जी चाहता था!
जब तेरे करीब आया तो महसूस हुआ की तू कितना खोखला है!!!!!
June 5, 2010 at 11:20pm ·
मेरा दोस्त ना जाने कहाँ खो गया है?
कहता है कि हमारी बात करो!
क्या उसे नहीं पता कि "हम" नहीं हैं?
मैं भी बटी हुई हूँ,
और वो भी!
शायद मैं कुछ ज्यादा और वो थोडा कम!
क्या फुर्सत नहीं उसके पास,
या कम बात करना चाहता है?
क्या मेरे लिए वक़्त इस लिए नहीं,
कि अब मैं और मेरी बातें,
बोझ लगने लगी हैं उसे?
वो कहता है कि क्या बात करें?
मेरे पास तो बहुत है उसे कहने को!
क्या वक़्त है उसके पास सुनने को?
मेरी जगह शायद कम हो गयी उसकी ज़िन्दगी से!
क्या पता ऐसा ना हो!
शायद मेरे मन का भ्रम हो!
मैं तो वहीँ हूँ जहाँ से मेरा दोस्त गया था!
वो भी शायद मुझे मिल जाए वहीँ,
जहाँ से वो गया था!!!June 6, 2010 at 1:38pm
रात के काले अँधेरे के साए में,
मैं दुबक के इक कोने में बैठा था!
कहीं भूतों के साए थे,
और कहीं अतृप्त आत्माओं की सिसकियाँ!
मेरी आत्मा इस चीख-ओ-पुकार से,
मेरे अंतर्मन में और दुबकती जा रही थी!
अचानक मेरी आत्मा की गहराईओं से इक आवाज़ आई:
'क्या हुआ है तुझे?
क्यों इस तरह बैठा है?
मेरी ओर देख,मैं तेरे साथ हूँ!'
सब चीख-ओ-पुकार ख़तम हो गया,
ऐसे जैसे मनो कभी था ही नहीं!
तब समझ में आया,
कि सच्चे मन से उस निराकार में
लौ लगाने का मतलब ही जीवन है!(07.06.2010)

Tuesday, June 1, 2010

मत हवा दो राख़ को.....

राख़ बन चुकी है हर ख्वाहिश!
दिल की हर तमन्ना अब ख़त्म हो चुकी है!
इस राख़ के ढेर को हवा मत दो,
इस में न शोला है न चिंगारी!
इस राख़ में तो मेरे दर्द दफ़न हैं!
हवा दोगे इस राख़ को,
तो दर्द टीस मारेंगे!
जीने नहीं देंगे ये दर्द फिर मुझे!
कब तक लादूँगा इस जिंदा लाश का बोझ मैं?
इस राख़ के ढेर को हवा मत दो,
इस में न शोला है न चिंगारी!(01.06.2010)
ये पागल दिल मेरा
अब सँभाले संभालता नहीं!
दुनिया की जंजीरों को तोड़,
आकाश में स्वछंद उड़ना चाहता है!
पर्वतों के पार,
बादलों के संग,
आसमान की ऊंचाइयों को
छूना चाहता है!
चाहता है एक बार फिर मिलन हो उससे,
जो उसका पूरक है!
चाहता है उससे मिलना वहाँ,
जहाँ कोई बंधन न हो!
समाँ जाती है जिस तरह सरिता सागर में,
जल जाता है जिस तरह पतंगा मोमबत्ती की लौ में,
गुम हो जाता है जिस तरह पपीहा चाँद के प्रेम में,
मेरा मन भी उसी तरह विलीन हो जाना चाहता है,
अपने प्रेमी में!
कुछ इस तरह की मेरी देह मेरी न रहे,
और मैं उस में समाँ जाऊं,
सदा के लिए!(01.06.2010)