उसने जो माँगा है
मैं क्योंकर उसे न दूं
मेरा वजूद उसके दम से है
मेरी हर सांस पर उसका हक़ है
वो है है तो मैं हूँ
वरना मैं तो रेत का इक ज़र्रा थी
उसने छुआ तो मैं फलक जा पहुँची
तस्वीर-ओ-तकदीर क्या
वो जान भी माँग ले
तो गम नहीं
जान देने से ग़ुरेज़ नहीं
कि जान भी उसके नाम से ही है!!!!
June 27,2010 at 9.42 P.M.
समर्पण भाव से भरी अच्छी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबेहतरीन रचना!
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ReplyDeletethanx sangeeta and udan tashtri...
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