हम माटी के पुतले,
इक दिन इसी माटी में मिल जाना है!
कोई पहले,कोई बाद में,
सब ने उसके घर जाना है!
बस जो वक़्त बिताया
इक-दूजे के साथ,
वही साथ रह जाना है!
वक़्त गुजरा अच्छे से
यही सोच मुस्कुराना है!
जो गया है उसकी पनाह में,
उसे खुद वही देखेगा!
हम पर भी है उसका नज़रे-करम,
यही सोच जीवन जीते जाना है!!!!
June 13, 2010 at 1.29 A.M.
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