राख़ बन चुकी है हर ख्वाहिश!
दिल की हर तमन्ना अब ख़त्म हो चुकी है!
इस राख़ के ढेर को हवा मत दो,
इस में न शोला है न चिंगारी!
इस राख़ में तो मेरे दर्द दफ़न हैं!
हवा दोगे इस राख़ को,
तो दर्द टीस मारेंगे!
जीने नहीं देंगे ये दर्द फिर मुझे!
कब तक लादूँगा इस जिंदा लाश का बोझ मैं?
इस राख़ के ढेर को हवा मत दो,
इस में न शोला है न चिंगारी!(01.06.2010)
nice thought
ReplyDeletethanx madhav...
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