ऐ मेरे दोस्त मेरे हमनफ़ज़
तू मेरे अंतर्मन में समाया है
तू है सब कुछ है
ज़िन्दगी में कोई कमी नहीं है!
तू मेरे साथ इस तरह है
जैसे शारीर संग साया है!
माना की दूरी है हम में
पर मन से दूर नहीं हम!
इक रिश्ता है तेरी-मेरी आत्मा का
जो चाह कर भी झूठ्लाया नहीं जा सकता!!!
June 11, 2010 at 12.23 A.M.
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