जब तुमसे प्रेम हुआ,
तो मैं मैं नहीं रही!
मैं तो तुम में विलीन हो,
तुम में समा गयी!
जैसे सरिता समा जाती है समुद्र में,
जैसे खुशबू समाई है
फूल में
जैसे दिल में धड़कन
मैं तुम हो गयी
और तुम्हारे वजूद में
मेरा वजूद मिल एक हो गया
सदा के लिए फिर तुमसे कैसा झगडा?
तुमसे कैसे लड़ाई?
तुम मेरे हो
और मैं तुम्हारी
जैसे कान्हा की मीरा
अब दोनों में कोई दूसरा नहीं
अब दोनों एक हैं....
October 20, 2010 at 11.50 P.M.
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