CLOSE TO ME

My friends,
It feels good to have my own blog.....there are things which are close to my heart and things which have affected me one way or the other.....my thoughts,my desires,my aspirations,my fears my gods and my demons---you will find all of them here....I invite you to go through them and get a glimpse of my innermost feelings....................

Thursday, May 16, 2013

खण्ड......



मैं स्थिर खड़ी थी,
उसने पलटकर नहीं देखा!
देखता तो मुझे वहीं खड़ा पाता,
जहां छोड़ गया था वो!

फिर वो पलटा,
ठिठका,
मेरी ओर देखा!
उम्मीद का एक अधभुझा सूरज,
मटमैली सी रोशनी बिखेरने लगा!

दिल की धड़कन जाने क्यों,
तेज़ हो गयी थी उसके पलटने से?
जानती तो थी कि इस बार उसका पलटना,
केवल वही था-- मात्र पलटना!

मैं जाना चाहती थी उसके पीछे,
कमीज़ पकड़ रोकना चाहती थी उसे!
कमीज़ पकड़ती, वो पलटता,
तो मालूम हो जाता उसे
'चले जाने का अर्थ!'
'चले जाने का अर्थ,'
वो नहीं था जो उसने समझा था!

'चले जाने का अर्थ,'
"चले जाने" के अलावा,
सब हो सकता था---
"मत जाओ,"
"जाओगे तो तब जब जाने दूँगी,"
"बाँह छुड़ा कर कहाँ जाओगे?"

तुम क्यों नहीं समझ पाये,
मेरे केहने का अर्थ?

कई खण्डों में बिखर गयी थी,
भाँती-भाँती की आकृतियाँ बनाते,
और फिर खण्डित हो जाते यह खण्ड!
मेरे अस्तित्व को खुद में समेटे,
अनगिनत यह खण्ड,
तुम्हारे जाने से अर्थहीन हो गये थे!

वो चला गया,
चलता ही गया!
आसमां के रंग बदल गये,
ज़िंदगी ने रास्ता मोड लिया!
तुम्हारे पलटने से,
दुनिया ही बदल गई!!

(तन्हा नहीं हूँ...एकाकीपन है....पलट जाते तुम....हम 'एकाकीपन' से "एक" हो जाते......)
May 16, 2013 at 10.33 A.M.

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