ढाई अक्षर का छोटा-सा शब्द,
अपने आप में कितने सारे अर्थ समेटे।
विराट स्वरूप,
अनंत छोर तक फैला असीमित विस्तार,
निर्विकार प्रेम,
कैसे परिभाषित करूँ तुम्हारे लिये!
प्रेम की सर्वोत्तम अभिव्यक्ती,
केवल मौन है!
प्रेम मानव मन का भाव है,
जो कहने-सुनने के लिए नहीं
बल्कि समझने और महसूस करने के लिए होता है।
याद नहीं क्या तुम्हें,
प्रेम की मादकता भरी खुशबू को
कई बार महसूस किया है हमने!
समर्पण, अपनापन,
देह से बढ़कर आत्मा की गहराई तक,
सब तुम्हें अर्पण कर दिया!
(काली नागिन सी ज़ुल्फें डसना छोड़ देंगीं---प्रेम क्म नहीं होगा----- तुम अचानक एक दिन बाजार में मिलोगी, और तुमको देखते ही मैं फिर से जवान हो उठूँगा......... देह को मिट्टी होना है, हो ही जायेगी....... तुम्हारे लिये प्रेम तो रहेगा तब भी--------)
May 28, 2013 at 4.12 P.m.
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