CLOSE TO ME

My friends,
It feels good to have my own blog.....there are things which are close to my heart and things which have affected me one way or the other.....my thoughts,my desires,my aspirations,my fears my gods and my demons---you will find all of them here....I invite you to go through them and get a glimpse of my innermost feelings....................

Monday, February 1, 2021

कौन हो तुम?

कौन हो तुम?

तुम्हारी आँखों का दुःख दिख रहा है

आँसुओं की बहती धारा,

तुम्हारी दास्ताँ बयाँ कर रही है

तुम्हारे शब्द लड़खड़ा रहे हैं

तुम्हारी आवाज़ की थकावट सुनाई दे रही है

कौन हो तुम?

 

जानी-पहचानी सी लग रही हो

मंदिर की हर मूरत में तुम हो

कवी की प्रेरणा तुम हो

तुम्हारी छवि हर लड़की, हर माँ में दिख रही है

फिर भी लगता है कि तुम नहीं हो,

कि कुछ नहीं है तुम्हारे पास

कौन हो तुम?

 

कहाँ से आई हो?

क्या अस्तित्व है तुम्हारा?

क्या नाम है?

आवाज़ है क्या?

कोई तो पहचान होगी?

कोई घर, कोई देश?

कहो तो, कौन हो तुम?

 

मैं, मैं वो हूँ,

जिसे तुम्हारे शब्दों ने बाँध रखा है

मैं वो हूँ,

जो तुम्हारे रीती- रिवाज़ों में क़ैद है

मैं वो हूँ,

जिसे तुम्हारे पितृ-सत समाज ने बेड़ियों में जकड़ रखा है

मैं सब हूँ

 

मैं वो हूँ,

जिसे बैठने के, खड़े होने के,

बात करने के, हँसने के, सोचने के,

तरीके तुमने सिखाए हैं

मैं वो हूँ,

जिसकी पहचान तुमने अपनी सोच से बनाई है

मैं, मैं सब हूँ

 

मैं वो हूँ,

जिसके जिस्म को तुमने बेचा है

मैं वो हूँ,

जिसकी रूह को तुमने तार-तार किया है

मैं वो भी हूँ,

जिसके साथ तुमने रंग-भेद किया है

मैं, मैं सब हूँ

 

मैं वो हूँ,

जिसे तुमने पैदा नहीं होने दिया

मैं वो हूँ,

जिसे तुमने पैदा होते कूड़े के ढेर में, गन्दी नाली में फ़ेंक दिया

मैं वो हूँ,

जिसे तुमने पैदा होते ज़हर दे दिया

मैं सब हूँ

 

मैं वो हूँ,

जिसे तुमने मारा-पीटा, गालियाँ दीं

मैं वो हूँ,

जिसे तुमने ज़िंदा जला दिया  

मैं वो भी हूँ,

जिसे तुमने त्याग दिया  

मैं, मैं सब हूँ

 

मैं वो हूँ,

तुमने जिसके पंख काट दिए हैं

मैं वो हूँ,

जिसे तुमने पिंजरे में बंद कर रखा है

मैं वो हूँ,

जिसकी आवाज़ तुमने गले में घोंट दी है

मैं, मैं सब हूँ

 

मैं वो हूँ,

जो चीखना चाहती है

मैं वो हूँ,

जो चिल्लाना चाहती है

मैं वो हूँ,

जो अपने होने का एहसास करवाना चाहती है

मैं, मैं सब हूँ

 

तुम कहते हो जानी-पहचानी हूँ

मंदिर की हर मूरत सी हूँ

कवी की प्रेरणा में भी हूँ

हर बेटी, हर माँ में मेरी छवि है

फिर क्यों नहीं पहचानते मुझे?

क्यों पूछ रहे हो

कौन हूँ मैं?

 

बहती नदी की अविरल धारा सी बहना चाहती हूँ

स्वछंद आसमाँ में उड़ना चाहती हूँ

अपनी पहचान, अपना अस्तित्व बनाना चाहती हूँ

दिखा देना चाहती हूँ,

कि जितना भी पैरों तले रोंदो,

फ़ीनिक्स जैसे फिर से उठ खड़ी हो,

मैं सब को अचंभित करना चाहती हूँ

बता देना चाहती हूँ,

तुम सब बे-आवाज़ों की आवाज़ मैं हूँ

अब और न दबा पाओगे मुझे

मेरे होने को और न नकार पाओगे

कि हर लड़की, बहन, बेटी, माँ, औरत में,

मैं हूँ

(January 31, 2021 at 12. 28 P. M.)



 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Tuesday, January 5, 2021

नव वर्ष की नई बेला

नव वर्ष, नई डायरी।

सुखी रहे दुनिया सारी।

सब के घरों में खुशियां बरसें।

नया साल ऐसा आए हे मेरे भगवान।
हर के सिर पर छत रहे।
दिलों में सबके लिए प्यार रहे।
नया साल ऐसा आए हे मेरे भगवान।

हर इंसां को रोटी मिले।
दौलत के नशे में अमीर भगवान को न भूले।
किसी बेटी पर बुरी नज़र न पड़े।
ऐसे उनके हालात करे।
नया साल ऐसा आए हे मेरे भगवान।

अपनी संस्कृति का आधार न छूटे।
बड़ों की इज़्ज़त, छोटों से प्यार।
हमउम्र से सदाचार।
सब के साथ स्नेह बना रहे।
नया साल ऐसा आए हे मेरे भगवान।

जो बीत गया वो बुरा नहीं था।
हालात बुरे थे, वक़्त बुरा था।
आने वाला कल सुनहरी होगा।
हम सब को यह मानना होगा।
नया साल ऐसा आए हे मेरे भगवान।

मेरे कारण किसी का दिल न दुखे,
ऐसी कामना करती हूँ।
सबके लिए सब मंगल हो,
ईश्वर से यही प्रार्थना करती हूँ।
नया साल ऐसा आए हे मेरे भगवान।

नव वर्ष की नई बेला है।
सूरज ने रौशनी फैलाई है।
नया सवेरा, नई उमंगें।
उलझने सुलझ जाएँ।
ख़्वाब नए, नई उमीदें।
अपनों का साथ और उनका प्यार,
मिलता रहे हमेशा की तरह,
बस यही इच्छा करती हूँ।
नया साल ऐसा आए हे मेरे भगवान।

स्वागत है नए वर्ष का।
अभिनन्दन है इस नई सुबह का।
जन-मानस का हर अँधियारा दूर हो।
सबके सपने पूर्ण हों।

आज मन हुआ ऐसा लिखूँ।
सबके मन को छू जाऊँ।
आओ मिल कर कुछ सुनें, कुछ सुनाएँ।
सबके सुख की कामना करें।

शब्दों की कड़ी से कड़ी मिला,
सबको हर्षित करते जाएँ।
नमन है इस नई बेला को,
स्वस्थ, सुरक्षित रखे सबको।
नया साल ऐसा आए हे मेरे भगवान।
(Jan. 2, 2012 at 5. 30 P. M.)



एक विलक्षण व्यक्तित्व

बहती हवा के वेग से तेज़ उड़ती

स्वछंद आसमां में विचरती

15 जनवरी 1934 को संक्रांति के पावन दिन जन्मी

माता-पिता की चहेती रमा देवी

 

पहली महिला मुख्य चुनाव आयुक्त

राज्य सभा की पहली और आज तक की इकलौती महिला महासचिव

हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल 

कर्नाटक की भी इकलौती महिला राज्यपाल

 

रूढ़िवादी पितृसत समाज को,

अपनी लगन और आत्मविश्वास से,

मुँह तोड़ जवाब दिया जिसने

बता दिया कि मुमकिन है,

शीशे की हर उस छत को तोडना,

जो औरतों के लिए बनाई जाती है।

 

क्या कहना ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व का,

योग्यता जिसकी अतुल्य थी।

बन गई प्रेरणा आने वाली पीढ़ियों के लिए।

आत्मविश्वास से अपने,

जीत लिया ज़िन्दगी को।

दिखा दिया न केवल भारत परन्तु समस्त विश्व को

कि औरत होना अभिशाप नहीं।

 

अपने हिस्से की ज़मीं चुन,

अपना आसमां भी चुना,

पंख फैलाने को।

सार्थक किया अपने नाम को।

उन्मुक्त नदी सी बहती वो नारी

हर बाधा को दूर कर,

बन गयी मिसाल सबके लिए,

भारत की वो नारी


भारत की पहली महिला मुख्य चुनाव आयुक्त वी. एस. रमादेवी पर कविता-- (Revised poem)

(Dec. 31, 2020 at 8.30 P. M.)

एक विलक्षण व्यक्तित्व

 


लिंग भेद सदा किया,

औरत को आगे नहीं आने दिया

तुमने कहा, ‘हर राह पर कांटे हैं

पैर तो क्या,

जिस्म और रूह तक छलनी हो जाएंगे

जितनी ऊंची छलांग लगाओगी,

शीशे की छत उतनी ही उठती जायेगी'    

 

क्या पता था तुम्हें,

जन्म लेगी ऐसी इक नार,

करेगी जो देश का उद्धार

15 जनवरी 1934 को संक्रांति के पावन दिन जन्म लिया

माता-पिता ने रमा देवी नाम दिया

घर सजा था, मंदिर और नगर सजे थे 

पवित्र रंगोली आँगन की सुंदरता बढ़ा रही थी

आँगन के भीतर,

नन्ही रमा की किलकारियां,

मन मोह रही थीं

 

पढाई में रूचि इतनी कि 

कानून में स्नातक के बाद,

स्नातकोत्तर भी कर डाला

आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में वकालत की

तदोपरांत नवीं , परन्तु पहली महिला मुख्य चुनाव आयुक्त चुनी गई

राज्य सभा की पहली और आज तक की इकलौती महिला महासचिव बनी

हिमाचल प्रदेश की इस राज्यपाल  का क्या कहना,

जो कर्नाटक की भी इकलौती महिला राज्यपाल बनी

 

अड़चन बगैर चुनाव करवाना कहाँ आसान होता है?

कहाँ आसान होता है किसी भी राज्य का कार्यभार संभालना?

प्रतिभावान रमा ने,

संभाल लिया सब

मुँह बंद कर दिया,

रूढ़िवादी पितृसत समाज का,

अपनी लगन और आत्मविश्वास से 

 

क्या कहना ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व का,

योग्यता जिसकी अतुल्य थी।

बन गई प्रेरणा आने वाली पीढ़ियों के लिए।

दिखा दिया न केवल भारत परन्तु समस्त विश्व को

कि औरत होना अभिशाप नहीं।

 

अपने हिस्से की ज़मीं चुन,

अपना आसमां भी चुना,

पंख फैलाने को।

सार्थक किया अपने नाम को।

लड़कियों, औरतों को आगे बढ़ने के

नए आयाम दिए।

धन्य है भारत की नारी,

प्रेरित कर,

पड़ती सब पर भारी।

जय हो हिन्द की नारी।

 

वी. एस. रमादेवी पर कविता  ….

(Dec. 20, 2020 at 3.02. A. M.)