CLOSE TO ME

My friends,
It feels good to have my own blog.....there are things which are close to my heart and things which have affected me one way or the other.....my thoughts,my desires,my aspirations,my fears my gods and my demons---you will find all of them here....I invite you to go through them and get a glimpse of my innermost feelings....................

Sunday, July 8, 2012

तुम---बस कह देते-----मैं यकीन कर लेता-----


तुमने तो कहा था

प्यार के बंधन में बंध

हम दो से एक हो गए!

अब कुछ कहने की ज़रुरत नहीं,

खामोश होठों की जुबां भी समझ लूँगा!

तुम्हारी हर बात पर यकीन कर,

मैं तुम में रच-बस गयी!

क्या कहना था,

सब समझते थे तुम!

अब कुछ नहीं कहा,

यकीन उठ गया तुम्हारा!

मेरी ख़ामोशी नहीं समझे,

शब्द क्या समझोगे?

अब कहने को कुछ रहा नहीं,

तुम सुन ही नहीं रहे!!!!!!

(आदत हो गयी थी शब्दों की तुम्हें....ख़ामोशी से मेरी तन्हाईयाँ क्या तोड़ते तुम......)

[I had started writing this poem on September 16, 2011 at 5:07pm. Got back to it today, edited and completed it]

July 08, 2012 at 12.17 P.M.

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