CLOSE TO ME

My friends,
It feels good to have my own blog.....there are things which are close to my heart and things which have affected me one way or the other.....my thoughts,my desires,my aspirations,my fears my gods and my demons---you will find all of them here....I invite you to go through them and get a glimpse of my innermost feelings....................

Tuesday, May 26, 2020

भावुक मृत्यु


औरत की दुर्दशा का निर्णायक कारण,
छोड़ दिया जाता है उन मर्दों पर,
जिन्हें न औरत के मन का पता है,
और न ही उनकी आत्मा का।
वो नियंत्रण में रखता है,
वो नियंत्रित रहती है।
वो हमारे शरीरों पर काबू पाते हैं।
हमारे भाग्य का फैसला करते हैं।
घृणा से ग्रसित,
वो हमारे दिमाग को भी काबू में रखते हैं।
औरतों के लिए उनकी नफ़रत,
हमारे हकों की मांग के लिए उनका द्वेष।
वो नियंत्रित रखना चाहते हैं।
वो वश में रखना चाहते हैं।
इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता,
और प्रायः इसे ख़ारिज कर दिया जाता है।
इस लिए यह हम पर निर्भर है,
कि हम बताएँ कि ऐसा होता है।
बहुत देर तक हमने इसे अनदेखा किया है।
अपने अंदर दबा कर रखा है।
परन्तु जो क्षति इस से होती है,
उसे छिपाना आसान नहीं होता।
औरतें इस से हर दिन समझौता करती हैं।
इस से मिला दर्द जाता नहीं।
हर साँस के साथ यह और बढ़ता जाता है,
ताक़तवर होता है।
इसका अंत है,
भावुक मृत्यु।
हम इसके साथ जीना सीख लेते हैं।
हम ढोंग करना चुन लेते हैं।
अपने अज्ञान में हम आशा करते हैं,
कि पीड़ा ख़त्म हो जाएगी।
यदि हम गुस्से को नकारते हैं,
पीड़ा को अस्वीकार करते हैं,
तो यह घृणा जो हम महसूस करते हैं,
हमें पागलपन कि ओर अग्रसर होने को
बाध्य कर देगी।
फिर एक दिन आएगा कि हम देखेंगे,
कि हम वो नहीं,
जो हम दिखाने का ढोंग करते हैं।
हम निष्क्रिय नहीं रहेंगे,
न ही अपनी पीड़ा को नकारेंगे।
न ही दूसरे के लाभ के लिए
गाली सुनेगें।
गीत गाए जा रहे हैं
और यह एक शुरुआत है।
लेकिन यह सब
हमारे हृदय के विषाद को ख़त्म नहीं कर सकता।
शब्द लिखे जाते हैं,
कवितायेँ लिखी जाती हैं।
हमारे अंदर की पीड़ा,
समय के साथ काम नहीं होती।
औरतें इस से हर दिन समझौता करती हैं।
इस से मिला दर्द जाता नहीं।
हर साँस के साथ यह और बढ़ता जाता है,
ताक़तवर होता है।
इसका अंत है,
भावुक मृत्यु।
आदमी नियम बनाते हैं।
औरतें उनका पालन करती हैं।
हम असहाय महसूस करते हैं।
हम भागते हैं,
हम छिपते हैं।
प्रतिदिन केवल हमारे हक़ ही नहीं चुराए जा रहे।
पर, हर दिन, हम में से
हर एक का,
कुछ न कुछ ग़ुम हो रहा है।
फिर एक दिन आएगा कि हम देखेंगे,
कि हम वो नहीं,
जो हम दिखाने का ढोंग करते हैं।
हम निष्क्रिय नहीं रहेंगे,
न ही अपनी पीड़ा को नकारेंगे।
न ही दूसरे के लाभ के लिए
गाली सुनेगें।
April 16, 2019

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