महसूस करता हूँ उस खुशबू को आज भी,
जो थी मेरे साथ कभी!
सोचा था ता-उम्र मेरे साथ रहेगी,
मेरी ख्वाहिश दिल में ही रही!
आज हूँ सोचता,
बचपना था उस बात में दीखता!
आज इस मोड़ पर,
जानता हूँ तुम्हारी खुशबू मेरे साथ है!
हवा के हर झोंके में,
हर फूल की खुशबू में,
पत्तों की सरसराहट में,
तुम्हारी सांस की खुशबू है!
बारिश की हर बूँद में,
ओस की एक-एक बूँद में,
तुम्हारी खुशबू है!
तुम्हारी खुशबू के झोंके,
आज भी हवा के झोंकों संग,
मेरे साथ हैं,
हमेशा के लिए!!!!
July 18, 2011 at 10.57 A.M.
महसूस करती हूँ उस खुशबू को आज भी,
जो थी मेरे साथ कभी!
सोचा था ता-उम्र मेरे साथ रहेगी,
मेरी ख्वाहिश दिल में ही रही!
आज हूँ सोचती,
बचपना था उस बात में दीखता!
आज इस मोड़ पर,
जानती हूँ तुम्हारी खुशबू मेरे साथ है!
हवा के हर झोंके में,
हर फूल की खुशबू में,
पत्तों की सरसराहट में,
तुम्हारी सांस की खुशबू है!
बारिश की हर बूँद में,
ओस की एक-एक बूँद में,
तुम्हारी खुशबू है!
तुम्हारी खुशबू के झोंके,
आज भी हवा के झोंकों संग,
मेरे साथ हैं,
हमेशा के लिए!!!!
CLOSE TO ME
My friends,
It feels good to have my own blog.....there are things which are close to my heart and things which have affected me one way or the other.....my thoughts,my desires,my aspirations,my fears my gods and my demons---you will find all of them here....I invite you to go through them and get a glimpse of my innermost feelings....................
It feels good to have my own blog.....there are things which are close to my heart and things which have affected me one way or the other.....my thoughts,my desires,my aspirations,my fears my gods and my demons---you will find all of them here....I invite you to go through them and get a glimpse of my innermost feelings....................
Monday, July 18, 2011
Sunday, July 10, 2011
मैं रेत, वो पानी.....
उसके होने से मैं हूँ,
वो नहीं तो अपना वजूद ढूँढता हूँ!
उसके होने से आबाद हूँ,
आज उसके जाने से जर्जर पड़ा हूँ!
तपती रेत से पड़े छालों में इतनी तासीर न थी,
जितने गहरे ज़ख्म उसके जाने ने दिए!
आज जब वो नहीं तो मेरा अस्तित्व नहीं,
बांसुरी बिन कान्हा, कान्हा नहीं!
मैं रेत, वो पानी,
मेरे ऊपर गिरती और विलुप्त हो जाती!
सोचता था ठंडक देगी मुझको,
चली गयी और झुलसा मुझको!
आज वो नहीं,
तो कुछ नहीं!
जानता था रेत और पानी का मिलन न होगा कभी,
पर दिल कहता था थोड़ी देर देख ले अभी!
अब मैं हूँ और मेरी तन्हाई,
और जिसे कभी मेरी याद न आई,
आज उसे याद कर रोता हूँ अकेले में!!!
July 10, 2011 at 12.44 A.M.
PART----II
रेत पर गिर पानी उस में समां जाएगा
उस में विलीन हो, उसका हिस्सा बन जाएगा!
फिर न पानी रहेगा, न रेत,
इक दूसरे का वजूद अपने में समेत,
दोनों हो जायेंगे एक!!!! (8.43 P.M.)
Part III
जब मिल जायेंगे दोनों, रेत और पानी,
लिखेंगे फिर नयी कहानी!
पानी समां रेत में,
समझेगा खुद को गौर्वन्वित,
अपनी हस्ती मिटा,
उसकी हस्ती में मिल,
रहेगा सदा हर्षित!!! (8.52 P.M.)
वो नहीं तो अपना वजूद ढूँढता हूँ!
उसके होने से आबाद हूँ,
आज उसके जाने से जर्जर पड़ा हूँ!
तपती रेत से पड़े छालों में इतनी तासीर न थी,
जितने गहरे ज़ख्म उसके जाने ने दिए!
आज जब वो नहीं तो मेरा अस्तित्व नहीं,
बांसुरी बिन कान्हा, कान्हा नहीं!
मैं रेत, वो पानी,
मेरे ऊपर गिरती और विलुप्त हो जाती!
सोचता था ठंडक देगी मुझको,
चली गयी और झुलसा मुझको!
आज वो नहीं,
तो कुछ नहीं!
जानता था रेत और पानी का मिलन न होगा कभी,
पर दिल कहता था थोड़ी देर देख ले अभी!
अब मैं हूँ और मेरी तन्हाई,
और जिसे कभी मेरी याद न आई,
आज उसे याद कर रोता हूँ अकेले में!!!
July 10, 2011 at 12.44 A.M.
PART----II
रेत पर गिर पानी उस में समां जाएगा
उस में विलीन हो, उसका हिस्सा बन जाएगा!
फिर न पानी रहेगा, न रेत,
इक दूसरे का वजूद अपने में समेत,
दोनों हो जायेंगे एक!!!! (8.43 P.M.)
Part III
जब मिल जायेंगे दोनों, रेत और पानी,
लिखेंगे फिर नयी कहानी!
पानी समां रेत में,
समझेगा खुद को गौर्वन्वित,
अपनी हस्ती मिटा,
उसकी हस्ती में मिल,
रहेगा सदा हर्षित!!! (8.52 P.M.)
Thursday, June 23, 2011
पिता का आँगन
जिस दिन आप इस दुनिया से गए,
मेरी दुनिया सूनी कर गए!
न साँस आ रही थी, न आवाज़ ही निकल रही थी,
सब सुन्न पड़ गया था, ज़िन्दगी थम सी गयी थी!
आपका जाना स्वीकार नहीं कर रहा था दिल-ओ-दिमाग,
क्यों चले गए आप?
आँखें आँसुयों से भर जाती हैं,
जब यादें आपकी मौत की आती हैं!
आपके आँगन में खेली,
पढ़-लिख बड़ी होली!
फिर एक दिन आपने अपने दिल के टुकड़े को ब्याह दिया,
आँसुयों ने दोनों के दामन को भिगो दिया!
आज आपकी बिटिया अकेली है,
क्योंकि उसका हाथ पकड़ने वाला कोई नहीं है!
बहुत याद करती है आपको आपकी बिटिया,
आपके बारे में सोच रोती है आपकी बिटिया!
बस इक बार आ जाओ फिर से,
मुझे प्यार से बुला, सहला, चले जाना फिर!
बस यही मांगती हूँ दिल से,
मुझे प्यार से बुला, सहला, चले जाना फिर!
मुझे प्यार से बुला, सहला, चले जाना फिर!
June 23, 2011 at 1.00 A.M.
मेरी दुनिया सूनी कर गए!
न साँस आ रही थी, न आवाज़ ही निकल रही थी,
सब सुन्न पड़ गया था, ज़िन्दगी थम सी गयी थी!
आपका जाना स्वीकार नहीं कर रहा था दिल-ओ-दिमाग,
क्यों चले गए आप?
आँखें आँसुयों से भर जाती हैं,
जब यादें आपकी मौत की आती हैं!
आपके आँगन में खेली,
पढ़-लिख बड़ी होली!
फिर एक दिन आपने अपने दिल के टुकड़े को ब्याह दिया,
आँसुयों ने दोनों के दामन को भिगो दिया!
आज आपकी बिटिया अकेली है,
क्योंकि उसका हाथ पकड़ने वाला कोई नहीं है!
बहुत याद करती है आपको आपकी बिटिया,
आपके बारे में सोच रोती है आपकी बिटिया!
बस इक बार आ जाओ फिर से,
मुझे प्यार से बुला, सहला, चले जाना फिर!
बस यही मांगती हूँ दिल से,
मुझे प्यार से बुला, सहला, चले जाना फिर!
मुझे प्यार से बुला, सहला, चले जाना फिर!
June 23, 2011 at 1.00 A.M.
Sunday, June 19, 2011
Freedom
The play of light and dark.
Clouds with life-like shades of grey,
Waiting to kiss the horizon.
Looking beyond!
Oh,there is hope yet.
Do not fret!
Nothing lasts forever.
This too shall pass!
Hidden behind them is the sun,
Light,warmth and life,
Holding all that in the palm of his hand.
Yet,the clouds harbour rain in their bowels.
Ready to drench the Earth with their elixir.
Ah!The freedom!
The emancipation!
If only I too were a cloud!!!!
September 8, 2010 at 5:13 P.M.
Clouds with life-like shades of grey,
Waiting to kiss the horizon.
Looking beyond!
Oh,there is hope yet.
Do not fret!
Nothing lasts forever.
This too shall pass!
Hidden behind them is the sun,
Light,warmth and life,
Holding all that in the palm of his hand.
Yet,the clouds harbour rain in their bowels.
Ready to drench the Earth with their elixir.
Ah!The freedom!
The emancipation!
If only I too were a cloud!!!!
September 8, 2010 at 5:13 P.M.
कड़वा सच
माँ की तस्वीर पर, बेटे ने प्लास्टिक का हार चढ़ा दिया,
इस मंज़र ने पिता का दिल दहला दिया!
बहू तुनक कर बोली, "गंदा भी नहीं होगा,
सिर्फ इतवार को ही धोना होगा!"
पिता का दिमाग सन्न पड़ गया,
दिल की धड़कन को लकवा मार गया!
"बेटे तुमने यह क्या कर दिया?"
"पिताजी रोज़-रोज़ के ताज़े हार का खर्चा बच गया!"
"बेटे उस ने तुम्हे जन्म दिया था!"
"पिताजी, मैंने सब क़र्ज़ उतार दिया था!"
पिता वहाँ से चला आया,
दिल में था दर्द समाया!
सोचा, शायद यही नर्क मुझे था भोगना,
तभी नहीं मिला मौत का बिछौना!
शायद यही देखने के लिए जिंदा हूँ,
पत्नी की तस्वीर पर प्लास्टिक के हार को देख शर्मिंदा हूँ!!!!
June 19, 2011 at 12.43 A.M.
इस मंज़र ने पिता का दिल दहला दिया!
बहू तुनक कर बोली, "गंदा भी नहीं होगा,
सिर्फ इतवार को ही धोना होगा!"
पिता का दिमाग सन्न पड़ गया,
दिल की धड़कन को लकवा मार गया!
"बेटे तुमने यह क्या कर दिया?"
"पिताजी रोज़-रोज़ के ताज़े हार का खर्चा बच गया!"
"बेटे उस ने तुम्हे जन्म दिया था!"
"पिताजी, मैंने सब क़र्ज़ उतार दिया था!"
पिता वहाँ से चला आया,
दिल में था दर्द समाया!
सोचा, शायद यही नर्क मुझे था भोगना,
तभी नहीं मिला मौत का बिछौना!
शायद यही देखने के लिए जिंदा हूँ,
पत्नी की तस्वीर पर प्लास्टिक के हार को देख शर्मिंदा हूँ!!!!
June 19, 2011 at 12.43 A.M.
Wednesday, May 18, 2011
जीवन तीखी गंध.....
उसकी गली से गुज़रा
खिड़की की ओट से झाँकता उसका चेहरा
दिल पर जादू सा कर गया
नज़रों से नज़रें मिलीं
एक ही नज़र में कई वायदे हो गए
हवा में बिखरी उसकी खुशबू
मैं साथ ले आया
आज जब उससे मिल नहीं पाता
यही खुशबू तीखी गँध बन अब
हर वक़्त मेरे साथ है!!!
May 18, 2011 at 9.22 P.M.
खिड़की की ओट से झाँकता उसका चेहरा
दिल पर जादू सा कर गया
नज़रों से नज़रें मिलीं
एक ही नज़र में कई वायदे हो गए
हवा में बिखरी उसकी खुशबू
मैं साथ ले आया
आज जब उससे मिल नहीं पाता
यही खुशबू तीखी गँध बन अब
हर वक़्त मेरे साथ है!!!
May 18, 2011 at 9.22 P.M.
Tuesday, May 10, 2011
चाँद....
इक चाँद आसमान में है
इक मेरे पहलू मैं
आसमान का चाँद धीरे-धीरे फ़ीका पड़ता हुआ
मेरा चाँद अभी भी अपनी मादक आँखों से
मुझे मदहोश करता हुआ
आसमान का चाँद घटता, बढ़ता
मेरा चाँद अपने में पूरन,
मेरा पूरक
आसमान का चाँद बेजान, ख़ामोश
मेरा चाँद मेरी जान
मेरे आग़ोश में
मुझे हम दोनों के होने का एहसास दिलाता!!!!
May 10, 2011 at 8.15 P.M.
इक मेरे पहलू मैं
आसमान का चाँद धीरे-धीरे फ़ीका पड़ता हुआ
मेरा चाँद अभी भी अपनी मादक आँखों से
मुझे मदहोश करता हुआ
आसमान का चाँद घटता, बढ़ता
मेरा चाँद अपने में पूरन,
मेरा पूरक
आसमान का चाँद बेजान, ख़ामोश
मेरा चाँद मेरी जान
मेरे आग़ोश में
मुझे हम दोनों के होने का एहसास दिलाता!!!!
May 10, 2011 at 8.15 P.M.
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